निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटी त्रिवेंद्र सरकार ने 92 में से 83 नगर निकायों के लिए वार्डों के आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार 50 सीटें सामान्य, 25 सीटें महिलाओं के लिए, 4 पिछड़ी जाति की महिलाओं, 4 अनुसूचित जाति की महिलाओं और 1 सीट अनुसूचित जनजाति की महिला के लिए आरक्षित रखी गई है। ऐसे में आरक्षण सूची जारी होते ही वर्तमान पार्षदों में अपनी सियासी जमीन खिसकने की आशंका से खलबली मची है। वहीं, आरक्षण को लेकर पीसीसी प्रवक्ता गरीमा धसौनी ने त्रिवेंद्र सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े किये है।
उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि बीजेपी ने जिस तरह से आरक्षण तय किया है, उसके पीछे सिर्फ उनका सियासी लाभ पाने का मकसद है।
इसके अलावा अधिसूचित सूची में आठ-आठ सीटें पिछड़ी जाति और अनुसूचित जाति के लिए अलग से हैं। परिसीमन के बाद निकाय चुनाव में आरक्षण का लंबे समय से इंतजार था। अब आरक्षण की स्थिति साफ हो गई है। वहीं बीजेपी ने इसके पीछे सर्वजन के हित की दलील दी, कांग्रेस पर पलटवार किया । बीजेपी नेता विनय गोयल ने कांग्रेस को बहस की चुनौती भी दे दी।
फिलहाल, आरक्षण सूची पर आपत्ति जताने की छूट है। सात दिन के भीतर जिलाधिकारी दफ्तर में आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। वहीं परिसीमन के बाद दून नगर निगम में 72 ग्राम सभाएं जुड़ी हैं। लिहाजा इस बार यहां 100 वार्ड पर चुनाव होने हैं। ऐसे में उन ग्राम प्रधानों की बांछें खिल गई हैं जो लंबे समय से पार्षद का चुनाव लड़ने की बाट जोह रहे हैं।
ब्यूरो, एपीएन