आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने राजस्व विभाग को बड़ा झटका दिया है। न्यायाधिकरण ने राजस्व विभाग द्वारा ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट से की गई 109.52 करोड़ की मांग को खारिज कर दिया है। इस मामले पर न्यायाधिकरण ने कहा कि कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को दी गई छूट को पूंजीगत नहीं माना जा सकता है।
न्यायाधिकरण के इस आदेश के बाद आयकर विभाग को फ्लिपकार्ट द्वारा जमा कराई गई 55 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि लौटानी होगी। इसके साथ ही न्यायाधिकरण के छह फरवरी के आदेश के बाद जमा कराई गई बैंक गारंटी वापस करनी होगी।
आपको बता दें कि राजस्व विभाग ने कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को 2015-16 के दौरान 796 करोड़ रुपये की दी गई छूट को पूंजीगत खर्च माना था। कर विभाग का मानना था कि कंपनी ने ग्राहकों को दी गई छूट पेशकश की वजह से कंपनी को हुए नुकसान के पीछे कंपनी का अपने ब्रांड मूल्य को बेहतर बनाना और ऑनलाइन बाजार में अपना एकाधिकार अथवा अग्रणी स्थिति बनाना मकसद था।
AXIS बैंक को 20 साल में पहली बार 2189 करोड़ रुपये का हुआ घाटा, ये है बड़ी वजह न्यायाधिकरण के इस आदेश के बाद राजस्व विभाग को फ्लिपकार्ट द्वारा जमा करायी गयी 55 करोड़ की अग्रिम राशि लौटानी होगी तथा न्यायाधिकरण के 6 फरवरी के आदेश के बाद जमा करायी गयी बैंक गारंटी वापस करनी होगी।
हालांकि फ्लिपकार्ट को खरीदने के लिए दो बड़ी कंपनियों में घमासान हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्लिपकार्ट को खरीदने के लिए वॉलमार्ट अब गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट से हाथ मिला सकती है। दूसरी तरफ गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट फ्लिपकार्ट में छोटा हिस्सा खरीद सकती है। अल्फाबेट फ्लिपकार्ट में 7 हजार से 12 हजार करोड़ रुपए निवेश कर सकती है। वहीं वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट में 85-86 फीसदी हिस्सा खरीदने की योजना है। वॉलमार्ट ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 13 हजार करोड़ से 15 हजार करोड़ रुपए निवेश कर सकती है।