जो मुकाम मोहनदास करमचंद गांधी यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हिंदुस्तान में हासिल है उसी के आस-पास या उस तरह का रुतबा कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान में हासिल है। गांधी और जिन्ना की शख्सियत एक दूसरे से बहुत जुदा थी, इसकी बानगी तो देश के बंटवारे के वक्त देखने को तो मिली ही थी लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि दोनों में बहुत कुछ एक जैसा भी था। मसलन दोनों मूल रूप से गुजराती थे।
जहां गांधी का जन्म 1869 को पोरबंदर (काठियावाड़) में हुआ था वहीं जिन्ना का जन्म 1876 को कराची में हुआ था लेकिन जिन्ना के दादा काठियावाड़ के रहने वाले थे और शिया मुस्लिम थे। गुजरात से संबंध होने के अलावा दोनों शीर्ष नेताओं ने लंदन से कानून की पढ़ाई की थी। यहां तक कि 1897 में जब गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे तो जिन्ना उनके साथ पत्र व्यवहार करते थे। चूंकि वे पत्र मौजूद नहीं हैं इसलिए माना जाता है कि दोनों पेशे से वकील थे इसलिए वे डरबन में कुछ कानूनी कामकाज एक साथ करना चाहते थे।
गांधी जब 1915 में भारत लौटे थे तो उस समय बॉम्बे में उनके सम्मान में कई कार्यक्रम रखे गए थे। ऐसा ही एक कार्यक्रम बॉम्बे के गुजराती लोगों की सभा गुर्जर सभा ने रखा था। इस कार्यक्रम में वकील और उपन्यासकार केएम मुंशी ने कार्यक्रम की शुरूआत में गांधी को गुजरात का ‘सच्चा सपूत’ बताया था। इस मौके पर मुख्य भाषण और किसी ने नहीं बल्कि मोहम्मद अली जिन्ना ने दिया था।
जिन्ना बॉम्बे के एक प्रतिष्ठित वकील थे और इतने अच्छे वक्ता थे कि लोग उन्हें सुनने के लिए बेताब रहते थे। जिन्ना को उनकी जवानी के दिनों में ही इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए चुन लिया गया था। उस समय देशभर से सिर्फ 60 लोग इसके सदस्य होते थे, जो कि देश के लिए नीति निर्माण करते थे।
ये पहला मौका नहीं था जब गांधी के समर्थन में जिन्ना बोल रहे थे बल्कि इससे पहले भी जब गांधी दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष कर रहे थे तो जिन्ना उनके समर्थन में बोला करते थे। हालांकि इस सबके बाद भी यह नहीं कहा जा सकता कि वे दोनों दोस्त थे या उनके बीच इस तरह का कोई रिश्ता था। वैसे बता दें कि जहां गांधी को गुजरात का सच्चा सपूत कहा जाने लगा था वहीं जिन्ना की गिनती उस समय के सबसे प्रभावशाली गुजराती के रूप में होती थी।
गुर्जर सभा में दिए गए भाषण में मोहम्मद अली जिन्ना ने मोहनदास करमचंद गांधी के कठिन परिश्रम और दृढ़ता की जमकर तारीफ की। जिन्ना ने इस मौके पर कहा कि दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के लिए गांधी और उनके साथियों को भयंकर यातनाएं दी गयीं। जिन्ना ने इस त्याग के लिए गांधी के प्रति आभार जताया।
हालांकि इस भाषण से समझा जा सकता है कि जिन्ना गांधी के हिंदुस्तान लौटने को लेकर शंकालु थे, उनका कहना था कि गांधी का भारत लौटना दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के संघर्ष को कमजोर कर देगा, क्योंकि वहां गांधी जैसा नेतृत्व देने वाला कोई नहीं है।
इस मौके पर जिन्ना ने गांधी को ‘भविष्य के भारत का आभूषण’ बताया । जिन्ना ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के संघर्ष को लेकर हिंदू मुसलमानों में एकता है। जिन्ना ने कहा था कि इस तरह की एकता लाने की जरूरत हिंदुस्तान में भी है। जिन्ना ने इस मौके पर गांधी से अपील की कि वे हिंदू मुस्लिम एकता के लिए काम करें।
इस पूरे भाषण के बीच गांधी इस बात से अभिभूत थे कि गुर्जर सभा, जिसमें बहुसंख्यक हिंदू थे, वहां एक मुस्लिम शख्स मुख्य वक्ता है।
(स्रोत- ”GANDHI -the years that changed the world” by Ramchandra Guha)