नवरात्र के पावन पर्व पर गाजीपुर मे मां कामाख्या के मंदिर में खासी भीड़ देखने को मिली…लेकिन गाजीपुर का यह गांव देवी के आशीर्वाद की वजह से खास है। इस गांव में हर घर का औसतन एक व्यक्ति सेना में है…लेकिन आज तक किसी की शहादत नहीं हुई है…लोग इसे मां कामख्या का आशीर्वाद मानते हैं…। गांव के लोग इसका श्रेय सिकरवार वंश की कुलदेवी मां कामाख्या को देते हैं…इन्हें गहमर की देवी के रूप में भी जाना जाता है… यह मंदिर गाजीपुर जिले के करहिया ग्राम सभा इलाके के ताडीघाट बारा रोड पर स्थित है।
वर्तमान में इस गांव में करीब 15 हजार रिटायर्ड सैनिक हैं तो करीब 15 से 20 हजार सैनिक सेना के विभिन्न रेजीमेंटों मे अपनी सेवाएं दे रहे हैं…इस गांव के जवान 1965 का युद्ध हो या 1971 का…या फिर कारगिल हो या उरी…यहां के जवान हर जंग और हर मोर्चे पर मां के आशीर्वाद से सुरक्षित रहते हैं…सैनिक और गांव के लोग इसके पीछे अपनी कुलदेवी मां कामाख्या की कृपा मानते हैं…
यहां के जवान अपना जरुरी से जरुरी काम भले भूल जाएं लेकिन मां कामख्या का दर्शन करना नहीं भूलते…ड्यूटी पर जाने के पहले और गांव आने के बाद जवान सबसे पहले मां कामाख्या के दर्शन कर ही आगे बढ़ते हैं कि, मां उनकी और देश की रक्षा करें…सूबेदार मेजर मार्कण्डेय सिंह ने 1971 की में भारत-पाक जंग समजुरी सेक्टर में लड़ी थी…उन्होंने और कई सैनिकों ने भी हमलों के दौरान कई बार मां के सुरक्षा कवच को महसूस किया है।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन