कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के सात दिवसीय दौरे पर हैं। गुरुवार को कनाडा के हाई कमीशन ने दिल्ली में एक डिनर पार्टी का आयोजन किया। इस डिनर के लिए सिख अलगाववादी जसपाल अटवाल को बतौर मेहमान आमंत्रित किया गया। जिस पर जमकर बवाल हुआ। बता दें कि अटवाल ने साल 1986 में भारतीय कैबिनेट मंत्री मलकीत सिंह सिद्धू पर वैंकूअर के द्वीप पर हमला किया थ।

जानकारी के मुताबिक, मुंबई में जस्टिन ट्रूडो के सम्मान में आयोजित डिनर पर जसपाल को भी आमंत्रित किया गया था। डिनर प्रोग्राम का आयोजन कनाडा उच्चायोग के द्वारा किया गया था। हालांकि बताया जा रहा है कि आमंत्रण को अब रद्द कर दिया गया है।

पीएमओ प्रवक्ता एलेनोरो कैटेनारो ने इस रिपोर्ट पर कहा, मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि उच्चायोग मि. अटवाल के आमंत्रण को रद्द करने की प्रक्रिया में हैं। सूत्रों के मुताबिक, अटवाल ने कनाडा के बुनियादी ढांचा और समुदाय मंत्री अमरजीत सोही के साथ भी फोटो खिंचाए।

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खबरों की मानें तो सिख अलगाववादी ने जिस वक्त भारतीय मंत्री पर हमला किया था, तब वह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का सदस्य था। ऐसे में कनाडा के साथ ब्रिटेन, अमेरिका और भारत ने उस पर प्रतिबंध लगा दिया था।

वहीं इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक गलियारों में सियासी रंग देखने को मिला बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी मामले पर अपने बयान दिए हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा, हमारी बेवकूफी थी कि हमने बैकग्राउंड चेक नहीं किया और कैनेडियन जो कहते हैं कि हम खालिस्तानियों को सपोर्ट नहीं करते हैं उन्होंने उनको कैसे अनुमति दी।

वहीं पंजाब के गुरदासपुर से कांग्रेस सांसद सुनील जाखर ने कहा, ट्रूडो को भारत सरकार की संवेदनाओं का सम्मान करना चाहिए और खासकर पंजाब के लोगों का सम्मान करना चाहिए। वे एक राष्ट्र के प्रमुख हैं। उन्होंने यह आश्वस्त किया था कि कनाडा किसी भी सूरत में आतंकवाद को समर्थन नहीं करेगा।

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