मोदी सरकार की विदेश नीति का फल अब देश को मिलने लगा है। एक तरफ जहां मोदी व्यक्तिगत तौर पर दुनिया भर में नाम कमा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ वो भारत का प्रस्तुतीकरण एक ऐसे देश के रूप में कर रहे हैं जहां अन्य देशों को अपने लिए काफी संभावनाएं दिख रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूएई के दूसरे दौरे से भारतीय कंसोर्टियम को पहली बार अबू धाबी के बड़े तेल संसाधन में हिस्सेदारी मिल गई है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी (विदेश), भारत पेट्रो रिसोर्सेज, इंडियन ऑयल की कंसोर्टियम और अबू धावी के नेशनल ऑयल कंपनी (एडएनओसी) के बीच शनिवार को इसके ऑफशोर लोअर जाकुी कंसेशन में 10 फीसदी भागीदारी अधिग्रहण को लेकर समझौता हुआ। इस समझौते से भविष्य में भारत को काफी फायदा होगा।
यूएई भारत को सबसे ज्यादा तेल की आपूर्ति करता है और यह भारत का दसवां सबसे बड़ा निवेशक था। अबू धाबी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का हिस्सा है जो गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) का सदस्य है। ओएनजीसी (विदेश) की अगुवाई वाली कंसोर्टियम ने हिस्सेदारी शुल्क के रूप में अरब अमीरात की मुद्रा में 2.2 अरब दिरहम यानी 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया। यह समझौता 9 मार्च 2018 से लागू हो जाएगा और इस करार की अवधि 40 साल है।
Met His Highness Sheikh Mohammed bin Rashid Al Maktoum. He has always been a wonderful friend of India. Our talks today were wide-ranging and fruitful. @HHShkMohd pic.twitter.com/VEly0tQzSM
— Narendra Modi (@narendramodi) February 11, 2018
ओएनजीसी विदेश की ओर से जारी बयान के मुताबिक, लोअर जाकुम तेल क्षेत्र से रोजाना चार लाख बैरल तेल का उत्पादन होता है, जबकि आगे 2025 तक इसे 4.5 लाख बैरल करने का है। इस तेल क्षेत्र से उत्पादित कुल तेल का 10 फीसदी हिस्सा भारतीय तेल उत्पादक ओएनजीसी विदेश का हक होगा।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने अबू धाबी के वॉर मेमोरियल में वहात-अल-करमा पहुंचकर वहां पर यूएई के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी और फिर आबूधाबी में ही उनकी मौजूदगी में हिंदू मंदिर का शिलान्यास किया।