पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेताओं में शुमार सांसद हुकुम सिंह का शनिवार को नोएडा के जेपी अस्पताल में निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक, लंबे समय से उनकी सेहत ठीक नहीं चल रही थी। वो नोएडा के जेपी हॉस्प‍िटल में एडमिट थे। हुकुम सिंह का पार्थिव शरीर शामली उनके आवास पर पहुंच चुका है। वहीं अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कैराना पहुंच चुके है। जहां उन्होंने दिवंगत सांसद को श्रद्धांजलि दिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सांसद के निधन का दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि  हुकुम सिंह ने यूपी के लोगों और किसानों के कल्याण के लिए काम किया। दुख की इस घड़ी में हम उनके परिवार के साथ हैं।


वह पिछले 15 दिनों से लगातार आइसीयू में थे। डॉक्टरों के भरसक प्रयास के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका था। हुकुम सिंह की पांच बेटियां है। वे उत्तर प्रदेश से सात बार विधायक रहे और 2014 के चुनावों में लोकसभा सांसद चुने गए। हुकुम सिंह चर्चा में तब आए थे जब साल 2013 में मुज़फ्फरनगर दंगे के बीच उन्होंने कथित तौर पर ‘नफ़रत भरे बयान’ दिए। हालांकि शामली में और उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उन्हें एक ‘सुलझा हुआ’ और ‘गंभीर’ वक्ता माना जाता था।

हुकुम सिंह 7 बार विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने। अलग-अलग पार्टी में रहने के बावजूद उनकी लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई।
उन्होंने कानून की पढ़ाई करने के बाद यूपी की ज्यूडिशियल सर्विस एग्जामिनेशन पास किया। इसके बावजूद वह जज नहीं बने।
हुकुम सिंह ने देश की सेवा करने के ​लिए सेना में भर्ती होने का फैसला लिया। इसी जज्बे के कारण वह सेना में भर्ती हुए। बताया जाता है कि सेना में रहते हुए उन्होंने 1962 में चीन के साथ हुई जंग में हिस्सा लिया था। कई बार विधायक रहने और संगठन में लंबे समय तक काम करने के बाद भी हुकुम सिंह केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपनी जगह नहीं बना पाए थे। साल 2009 में लोकसभा चुनाव हारने वाले हुकुम सिंह मुज़फ्फरनगर के दंगों के बाद लोकसभा चुनाव भारी मतों से जीते थे।