केरल के बहुचर्चित हदिया मामले की सुनवाई मंगलवार (23 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में हुई। हदिया को भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पार्टी बनाया है। हदिया की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल की मांग पर कोर्ट ने हदिया को मामले में पार्टी बनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर दो वयस्क शादीशुदा है तो कोई इसकी जांच नही कर सकता। कोर्ट भी इसमें कोई हस्तक्षेप नही कर सकता।
केरल की हदिया के धर्मपरिवर्तन कर शादी के मामले की सुनवाई करते हुए CJI दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा है कि NIA हदिया की शादी की जांच नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि NIA लड़के के क्रिमिनल बैकग्राउंड की तो जांच कर सकती है लेकिन वह हदिया की शादी को लेकर जांच नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि शादियों को आपराधिक साजिश, आपराधिक पहलु और आपराधिक कार्रवाई से बाहर रखा जाना चाहिए नहीं तो ये कानून में गलत उदाहरण होगा।
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि अगर लड़की कहती है कि वो शादीशुदा है तो कोर्ट इसमें क्या कर सकता है। वह किसी गैरकानूनी हिरासत में नही है। जब शादी को अवैध करार नहीं दिया जा सकता तो फिर इसकी जांच का क्या मतलब है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह लड़की को तय करना है कि शादी के लिए कौन इंसान सही है कौन गलत।
सुनवाई के दौरान NIA की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि लव जिहाद के मामले में जांच पूरी कर ली गई है। इस पर CJI दीपक मिश्रा ने कहा कि हम जांच के बारे में चिंतित नहीं हैं। कोर्ट सिर्फ ये देखना चाहता है कि हाईकोर्ट ने शादी को शून्य करार दिया वह सही है या नहीं। कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को सिर्फ इस मुद्दे पर बात साफ करने को कहा कि क्या हाईकोर्ट अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान शादी को रद्द कर सकता है।
हदिया ने कोर्ट में कहा था कि उसने शादी की है और वो पिता के पास नहीं जाना चाहती। इस मामले पर अब अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी।