‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है’, ‘सफलता, हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है’, ‘जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं और उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं’, ‘हमारा सफर कितना ही भयानक, कष्टदायी और बदतर हो, लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना ही है’। ‘सफलता का दिन दूर हो सकता हैं, लेकिन उसका आना अनिवार्य ही है’। ये कथन भले ही आजादी के पहले के हों लेकिन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना देश के लिए खुद सुभाष चंद्र बोस।
आज महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 121 वीं जयंती है। आज पूरा देश उनके व्यक्तित्व, प्रतिभा और देश की आजादी में दिए गए उनके योगदान को जान रहा है, समझ रहा है और उनको अपना आदर्श मानकर खुद को वैसा बनाने का संकल्प ले रहा है। उनकी मौत भले ही आज रहस्य हो लेकिन उनका जीवन बलिदान, समर्पण और बहादुरी की मिसाल है। आज के युवा को इसी तरह के व्यक्तित्व की जरूरत है। नेताजी ने अपनी शिक्षा, अपनी योग्यता खुद के लिए या परिवारजनों के लिए समर्पित नहीं किया बल्कि उन्होंने अपनी पूरी प्रतिभा देश के लिए समर्पित कर दिया। आज का युवा नौकरी के लिए भटकता है, नौकरी के लिए सरकार का मुंह ताकता है लेकिन नेताजी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने नौकरी को अपने आत्मबल, योग्यता और मेहनत से छीना और उसे त्याग दिया। यही भाव आज के युवा में भी होना चाहिए।
देशभर में जगह-जगह गोष्ठियां आयोजित किए जा रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही उन्हें याद करते हुए पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का साहस हर भारतीय को गौरवान्वित करता है। हम उनकी जयंती पर इस महान शख्सियत को नमन करते हैं।’ पीएम मोदी ने अपने ट्विटर पोस्ट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें वह नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने को लेकर अपनी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की बात करते हुए नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी के साथ देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी नेताजी को श्रद्धांजलि दी। वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी का कहना है कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद व 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए।