आज अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को एक उभरते हुए वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है तो इसमें भारत की विदेश नीति का बहुत बड़ा हाथ है। केंद्र की मोदी सरकार ने भी इसमें अहम् भूमिका निभाई है और विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज की सराहना विपक्षी पार्टियां भी करती हैं। इन सब के अलावा पीएम मोदी की विदेश यात्राओं का भी इसमें बहुत बड़ा हाथ है। जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है पीएम मोदी ने कई देशों की यात्रा की और उनके साथ रिश्ते मजबूत बनाए। उनके इसी यात्रा का परिणाम है कि आज ‘आंतकवाद’ पर सभी देश भारत के साथ हैं। अपनी इसी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी का 2018 वर्ष भी यात्राओं से भरा है। साथ ही कई राष्ट्राध्यक्षों का भारत आगमन भी संभव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल में स्विटजरलैंड के शहर दावोस का दौरा कर सकते हैं। संभावना है कि पीएम मोदी यहां वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) समिट में शिरकत करेंगे। यह समिट 22 जनवरी 2018 को होगा। आखिरी बार 1997 में तत्कालीन पीएम एचडी देवगौड़ा इस समिट में शामिल हुए थे। फिर फरवरी में मोदी के यूएई और फिलिस्तीन जाने की उम्मीद है। फ्रांस के राष्ट्रपति और कनाडा के प्रधानमंत्री की मेजबानी भी करने की वह तैयारी करेंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति के दौरे में हिंद महासागर साझेदारी का मुद्दा सर्वोच्च प्राथमिकता में होगा। इसके बाद अप्रैल में पीएम मोदी पहली बार कॉमनवेल्थ समिट में हिस्सा लेने लंदन जाएंगे। इसके बाद एक जून को मोदी सिंगापुर का दौरा कर सकते हैं। इसके साथ ही वह चीन में एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए भी जा सकते हैं। जून के बाद मोदी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर सकते हैं। इसके अलावा जी-20 समिट में हिस्सा लेने के लिए वह अर्जेंटीना का दौरा कर सकते हैं। सिंगापुर में इंडिया-आसियान एंड ईस्ट एशिया समिट में शिरकत की बात भी चल रही है।
इसके अलावा कई राष्ट्राध्यक्ष भारत का दौरा करेंगे। इसमें सबसे पहले इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत दौरे पर रहेंगे। इस दौरान नेतन्याहू और पीएम मोदी 16 जनवरी को भारत के प्रीमियम फॉरेन पॉलिसी फोरम- रायसीना डायलॉग को संबोधित करेंगे। इसके बाद जॉर्डन के राजा भी भारत दौरे पर आ सकते हैं। इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान देश के 10 नेता मौजूद रहेंगे। इससे दक्षिण-पूर्व एशिया में संतुलन बनाने वाली ताकत के रूप भारत की भूमिका को मान्यता मिलेगी। ऐसी भी चर्चा है की चीन और सऊदी अरब के शीर्ष नेता अगले साल भारत की यात्रा कर सकते हैं। ऐसे में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी का अगला साल भी काफी व्यस्त रहने वाला है। बता दें कि अगले साल के अंत में भी चार राज्यों के चुनाव होने हैं। साथ ही लोकसभा चुनाव भी 2019 के शुरूआत में चालू हो जाएगा। इसको देखते हुए भी पीएम मोदी काफी व्यस्त रहने वाले हैं।