भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने महाभारतकालीन लक्षागृह के खोज के लिए बागपत जिले के भरनावा इलाके में खुदाई करने की मंजूरी दे दी है। यह प्रोजेक्ट काफी लंबे समय से लटका हुआ था। अंततः स्ठानीय पुरातत्वताओं और इतिहासकारों के सालों पुरानी मांग को स्वीकार करते हुए एएसआई ने इसकी मंजूरी दी।

महाभारत के अनुसार में कौरवों ने पांडवों को जान से मारने के लिए एक लाख का महल बनवाया था, जिसे लक्षागृह कहा गया था। इस लक्षागृह में पांडवों को जिंदा जलाने की योजना कौरवों ने बनाई थी। लेकिन विदुर के जरिए इस साजिश की भनक मिलने के बाद किसी तरह इस साजिश से बचने में कामयाब रहें और वे जलते हुए महल से सुरंग के रास्ते बचकर निकल गए।

एएसआई के निदेशक जितेंद्र नाथ ने योजना की जानकारी देते हुए कहा कि हमने प्रस्ताव के विस्तृत अध्ययन के बाद ही ऐसा निर्णय लिया है। इसमें एएसआई की दो शाखाएं उत्खनन शाखा और लाल किला स्थित पुरातत्व विज्ञान संस्थान शामिल हैं। ये दोनों संस्थान संयुक्त रूप से भरनावा इलाके में खुदाई करेंगे।

जितेंद्र नाथ ने बताया कि अगले महीने की शुरुआत में खुदाई शुरू हो जाएगी, जो तीन महीने तक चलेगी। इसमें विशेषज्ञों के अलावा पुरात्तवविज्ञान संस्थान के छात्र भी शामिल होंगे। एएसआई को इस खुदाई से बहुत उम्मीदें हैं क्योंकि इससे पहले भी यहां के आसपास के इलाकों में हुई खुदाई से उसे कई महत्वपूर्ण चीजें मिल चुकी हैं।

इससे पहले यहां के पास के इलाके चंदायन और सनौली में 2005 और 2014 में हुई खुदाई के दौरान कई पुरातात्विक चीजें मिली थी। तब यहां बड़ी मात्रा में कंकाल, बर्तन और रत्नों से जड़ा तांबे का एक मुकुट मिला था। यह सभी वस्तुएं हड़प्पा काल की थीं।

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