स्वदेशी मिसाइल ‘अस्त्र’ जल्द ही भारतीय वायुसेना में शामिल हो सकता है । दरअसल स्वदेश में विकसित हवा से हवा में मार करने वाली ‘अस्त्र’ मिसाइल का बंगाल की खाड़ी के ऊपर चार दिनों तक सफल परीक्षण कर लिया गया है।
डीआरडीओ की ओर से जारी किए गए एक बयान के अनुसार इन परीक्षणों को 11 से 14 सितंबर के बीच ओडिशा समुद्रतट पर स्थित चांदीपुर से बंगाल की खाड़ी के ऊपर अंजाम दिया गया। एसयू-30 लड़ाकू विमानों के जरिए इन मिसाइलों से पायलट रहित लक्ष्य विमानों (पीटीए) को निशाना बनाया गया। इस दौरान ऐसे सात परीक्षण किए गए और सभी सफल रहें। दो मिसाइलों को युद्धक परिस्थितियों में वारहेड के साथ भी लांच किया गया और उन्होंने लक्ष्यों को बेअसर कर दिया।
बता दें कि यह मिसाइल प्रणाली भारतीय वायुसेना के सहयोग से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है। हथियार प्रणाली को विकसित करने में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों और 50 से अधिक सार्वजनिक और निजी कंपनियों ने योगदान दिया है। अस्त्र से जुड़े प्रॉजेक्ट को साल 2004 में मंजूरी मिली थी।
युद्धग्रस्त इलाके में भारतीय सेना किसी बारूदी सुरंग का शिकार होने से बच सके, इसके लिए रक्षा संगठन डीआरडीओ ने इसमें स्वदेशी ट्रॉल सिस्टम बनाया है। यह सिस्टम बारूदी सुरंगों को भेदकर सेना के वाहनों के लिए सुरक्षित लेन तैयार करता है। इतना ही नहीं इस सिस्टम के नीचे कई बार ब्लास्ट के जरिये हाल में टेस्ट किया गया, जिसमें सिस्टम खुद को बचाने में कामयाब रहा है।
जहां डीआरडीओ की मिसाइल और रणनीतिक प्रणालियों के महानिदेशक जी सतीश रेड्डी ने कहा कि कार्यक्रम के तहत विकसित प्रौद्योगिकियां हवा से हवा में और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अधिक संस्करणों के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी। वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मिसाइल के सफल परीक्षणों पर डीआरडीओ, वायुसेना, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और उद्यमों को बधाई दी है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सफल परीक्षणों के साथ हथियार प्रणाली का विकास चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया।