ब्लैक मनी को व्हाइट मनी के रूप में बदलने के मामले में पहले जहां सरकार ने कंपनियों के बैंक खाते सील किए थे वहीं अब सरकार ने प्रतिबंधित शेल कंपनियों के डायरेक्टर्स और ऑथराइज्ड सिग्नेचर के लिए चेतावनी जारी की है। यहां तक कि इन कंपनियों से पैसे इधर-उधर करने की कोशिश की तो उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है।
यही नहीं केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि तीन साल या उससे अधिक वक्त से रिटर्न फाइल न करने वाली शेल कंपनियों के डायरेक्टर किसी दूसरी फर्म में भी ऐसा कोई पद नहीं ले सकते।
बता दें कि मंत्रालय की ओर से इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया है। सजा के प्रावधान के अलावा भी अन्य कदम उठाए गए हैं।
मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक संदेश में कहा है कि कंपनी कानून की धारा 164 (2) के तहत अयोग्य ठहराए गए व्यक्ति को ताकीद की जाती है कि वह डायरेक्टर के रूप में काम नहीं करे। साथ ही अयोग्यता अवधि के दौरान वे एमसीए के पास कोई भी आवेदन या दस्तावेज फाइल नहीं करें अन्यथा उन्हें खारिज कर दिया जाएगा। धारा 164 निदेशकों की नियुक्ति के लिए अयोग्य ठहराए जाने से संबंधित है। इसकी उपधारा 2 में निदेशकों के लिए कई मानदंड निर्धारित किए गए हैं। इन मुखौटा फर्मो का पंजीकरण कंपनी कानून की धारा 248 (5) के तहत रद्द किया गया है। ऐसी कंपनियों के डायरेक्टर अब पूर्व निदेशक माने जाएंगे।
यही नहीं कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने ऐसी 2.09 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है, जो किसी बिजनस ऐक्टिविटीज में हिस्सा नहीं ले रही थीं। इसके अलावा इनके बैंक खातों को भी सीज करने का आदेश दिया गया है। मंत्रालय के मुताबिक इन 2.09 लाख मुखौटा फर्मो के डायरेक्टर और हस्ताक्षर करने वाले पदाधिकारी अपनी कंपनियों के वैध ठहराए जाने तक बैंक खातों का संचालन नहीं कर सकेंगे।
इसके अलावा कुछ मामलों में सरकार ने शेल कंपनियों से जुड़े चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कंपनी सेक्रटरीज और कॉस्ट अकाउंटेंट्स की पहचान भी की है। सरकार का कहना है कि ब्लैक मनी पर लगाम कसने के अभियान के तहत अन्य शेल कंपनियों की भी पहचान करने का काम जारी है। इसी के साथ यह जानने की भी कोशिश की जा रही है कि फर्जी कंपनियों के चलते असल में मुनाफा उठाना वाले लोग कौन हैं।