मोदी सरकार शुरुआत से ही बड़े बदलाव करती आई है। भारतीय अर्थव्यस्था से जुड़े बदलावों की बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा बड़े बदलाव हुए हैं । इसी कड़ी में मोदी सरकार वित्त वर्ष बदलने के बारे में भी सोच रही थी। लेकिन अब खबरों की माने तो वित्त वर्ष 2018-19 के लिए यह बदलाव फिलहाल संभव नहीं है। वहीं इसे 15 दिन पहले पेश करने की भी बात हो रही है और अगर ऐसा हुआ तो इस बार आम बजट 15 जनवरी को पेश हो सकता है।
बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 21 जुलाई को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि वित्त वर्ष बदलने के बारे में सरकार विचार कर रही है। पर वित्त वर्ष में किसी भी तरह के बदलाव के लिए सभी राज्यों की सहमति की जरूरत होगी और कई राज्य इसके पक्ष में नहीं हैं इसलिए अभी यह बदलाव नहीं हो सकेगा।
वहीं इस पर एक बड़े सरकारी अधिकारी के बयान देते हुए कहा है कि “अगर इस साल से वित्त वर्ष में बदलाव किया गया तो इसका मतलब है कि बजट को अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में पेश करना पड़ेगा, जो संभव नहीं है।”
हालांकि सरकार ऐसा कुछ भी 2019 चुनाव तक नहीं करेगी क्योंकि जीएसटी और नोटबंदी से ऐसे ही बिजनस का खस्ताहाल है और अगर सरकार यह भी बदलाव कर देगी तो व्यवसायियों की परेशानियां और बढ़ सकती हैं।
जहां इस पर एक्सपर्ट्स की भी मानें तो सरकार वित्त वर्ष में बदलाव नहीं कर सकती क्योंकि वित्त वर्ष को जनवरी से दिसंबर करने पर अलग-अलग राय सामने आ रही है। वहीं नीति आयोग ने सुझाव दिया था कि वित्त वर्ष में बदलाव होना चाहिए क्योंकि अभी वाले वित्त वर्ष मंद वर्किंग सीजन का पूरा फायदा उठाना संभव नहीं है। उसके मुताबिक, दूसरे देशों में जनवरी से दिसंबर का वित्त वर्ष होता है। अगर भारत में इसे अपनाया जाता है तो इससे डेटा कलेक्शन पर पॉजिटिव असर होगा।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य की अगुवाई में जुलाई 2016 में इसके लिए एक समिति बनाई गई थी पर इस समिति को यह प्रस्ताव बहुत आकर्षक नहीं लगा।