पूरी यूपी छोड़िए इस समय यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र गोरखपुर ही बुरी हालातों से गुजर रहा है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने से अबतक 30 बच्चों की मौत हो चुकी है। इंसेफेलाइटिस के मरीजों के लिए बने सौ बेड के आईसीयू सहित एनएनयू वार्ड और अन्य वार्डो में ऑक्सीजन नहीं मिल पाने से बच्चों की तड़प-तड़प कर जान चली गई। बताया जा रहा है कि 13 बच्चे एनएनयू समेत अन्य वार्डों में और 17 इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती थे। शुरूआती रूप से देखा जाए तो यह अस्पताल की बहुत बड़ी लापरवाही लगती है। लेकिन सीएम के क्षेत्र में होने वाली ऐसी लापरवाही में किसी साजिश की बू भी हो सकती है। बताया जाता है कि इस अस्पताल में दूर-दराज के लोग इलाज के लिए आते थे और योगी खुद यहां पर नजर रखते थे। ऐसे में ऐसी लापरवाही की खबर हैरान करने वाली है।
बताया जा रहा है कि 68 लाख रुपये का भुगतान न होने की वजह से फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी थी। लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और शुक्रवार को सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए। रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल के वार्डो में गुरुवार रात 11.30 बजे से ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो गई थी। ये सिलसिला सुबह 9 बजे तक चलता रहा। इसकी वजह से 30 बच्चों ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। प्रश्न ये उठता है कि जब फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी थी और अस्पताल को सिलेंडर इस्तेमाल करना पड़ गया था जब कि उसकी भी किल्लत थी तो अस्पताल ने तत्काल रूप से कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। क्यों सिलेंडरों का प्रबंध पहले से नहीं किया गया। ये सब सवाल अस्पताल के प्रशासन पर प्रश्न खड़े करते हैं।
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ताजा अपडेट के अनुसार इतने बड़े हादसे के बाद विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर हो गया है। गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत पर अब राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल के हमले के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार पर जमकर हमला किया। मायावती ने कहा कि इस घटना के लिए बीजेपी सरकार की जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है।
अखिलेश ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि मृतकों के परिजनों को लाश देकर भगा दिया गया, मृतक बच्चों का पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने ये सब सच्चाई को छुपाने के लिए किया। इसके साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की।