बिहार में 10वीं और 12वीं में खराब परफॉर्मेंस देने वाले स्कूलों पर अगले एक महीने के भीतर कार्रवाई होगी। बिहार की शिक्षा व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब स्कूल के हेडमास्टर और शिक्षा पदाधिकारियों पर कार्रवाई होगी साथ ही ऐसे स्कूलों में 50 साल से अधिक उम्र के शिक्षकों को रिटायरमेंट दिलाया जाएगा।

दरअसल कल हुई विभागीय बैठक के बाद सरकार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि तीन बार पात्रता परीक्षा में फेल होने वाले नियोजित शिक्षकों को सरकार ने हटाने का फैसला किया है। बैठक में खराब रिजल्ट वाले स्कूलों के प्रिंसिपल, टीचर और अफसर जिनकी उम्र 50 साल से अधिक होगी, उनपर कार्रवाई के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। बता दें कि पहले चरण में सर्वाधिक खराब रिजल्ट वाले स्कूलों के शिक्षकों पर कार्रवाई होगी और ऐसे स्कूलों की संख्या करीब 600 हैं।

नीतीश सरकार के इस फैसले को शिक्षा विभाग का एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस फैसले को लागू करने के लिए नीतीश कुमार ने तीन सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया है जो पहले उन स्कूलों को चिन्हित करेगी, जहां के नतीजे सबसे खराब आए। इसके बाद वहां के शिक्षकों और जिले के शिक्षा पदाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बैठक में इस पर भी फैसला हुआ कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत छात्रों को लोन देने के लिये सोसायटी बनाई जाएगी। बैंकों की लापरवाही को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इसके अलावा सरकार इस बार इंटर परीक्षा के प्रारूप में बदलाव करने जा रही। परीक्षा में ऑब्जेक्टिव प्रश्न की संख्या बढ़ेगी। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया जा रहा।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 10 अगस्त तक लगातार विभागों की समीक्षा करेंगे। इस निर्णय से राज्य में 5000 स्थाई और अनुबंध पर बहाल किए गए शिक्षकों पर असर पड़ेगा। सरकार उन शिक्षकों की भी छुट्टी करने जा रही है, जो शिक्षक दक्षता परीक्षा में लगातार तीन बार से फेल हो रहे हैं। माना जा रहा है कि राज्य सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में काफी आक्रोश है और वे इस फैसले के खिलाफ आंदोलन पर उतर सकते हैं।

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