Harivansh Rai Bachchan: हिंदी साहित्य में निराला, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा और सुमित्रानंदन पंत की तरह छायावादी युग को स्थापित करने वाले और “क्या भूलूं क्या याद करूं”, “नीड़ का निर्माण फिर”, “बसेरे से दूर”, “दशद्वार से सोपान तक” गद्य साहित्य के साथ-साथ काव्य में “निशा निमंत्रण”, “तेरा हार”, “मधुबाला”, “मधुकलश” और अमर कृति “मधुशाला” के रचयिता श्रेष्ठ वाचक कवि परंपरा के अग्रणी डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन की आज 19वीं पुण्यतिथि है।
देश आज इस महान कवि को याद करते हुए श्रद्धांजलि दे रहा है। इस मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हिंदी साहित्य के शलाका पुरूष हरिवंश राय बच्चन को अपनी श्रद्धांजलि दी है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने Harivansh Rai Bachchan को दी श्रद्धांजलि
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरिवंश राय बच्चन की कविता को ट्वीट करते हुए उन्हें याद किया है। सीएम शिवराज ने ट्वीट करके लिखा है, “चल मरदाने सीना ताने, हाथ हिलाते पांव बढ़ाते। मन मुस्काते गाते गीत, जग के पथ पर जो न रुकेगा। जो न झुकेगा जो न मुड़ेगा, उसका जीवन, उसकी जीत।”
हिंदी साहित्य को अपनी लेखनी से समृद्ध बनाने वाले डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन का जन्म प्रयागराज के नजदीक प्रतापगढ़ जिले में 27 नवम्बर 1907 को एक कायस्थ परिवार में हुआ था।
पढ़ने-लिखने में शुरू से मेधावी हरिवंश राय ने बचपन में पुकारे जाने वाले नाम ‘बच्चन’ को अपना उपनाम बना लिया। संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी में समान अधिकार रखने वाले हरिवंश राय बच्चन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी के समकालीन थे।
हरिवंश राय बच्चन ने पहली पत्नी के निधन के बाद तेजी सूरी से विवाह किया, जिनसे इन्हें अमिताभ और अजिताभ बच्चन नामक दो बालक पैदा हुए।
आज अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक कहा जाता है वहीं अजिताभ बच्चन विदेश में एक बैंकर के तौर पर स्थापित हैं। हरिवंश राय बच्चन की मृत्यु 18 जनवरी 2003 को मुंबई में हुई।
पढ़िये हरिवंश राय बच्चन की अमर कृति ‘अग्निपथ’
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छांह भी,
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
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