योगी सरकार वैसे तो जब से सत्ता में आई है कुछ न कुछ नया और विवादित होता रहा है। काम हो रहे हैं,तबादले हो रहे हैं और उसी के साथ अपनी लापरवाहियों पर सरकार के लोग बदनाम भी हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक लापरवाही का ऐसा ही एक बड़ा मामला सामने आया है जिसमें नियुक्ति कार्मिक विभाग ने एक मृत पीसीएस अधिकारी को प्रमोशन कर बुलंदशहर का सिटी मजिस्ट्रेट बना दिया है।
दरअसल राज्य कार्मिक विभाग ने 28 मई को 222 वरिष्ठ पीसीएस अधिकारियों का तबादला किया था, जिसमें वाराणसी के एसडीएम गिरीश कुमार का भी नाम था। विभाग ने उनका तबादला कर बुलंदशहर भेज दिया। पर मृत गिरीश कुमार जब अपनी तैनाती पर नहीं पहुंचे तो विभाग ने उन्हें ढूढ़ना शुरू किया। तब जाके उन्हें पता चला कि गिरीश कुमार की पिछले साल नवंबर में मौत हो चुकी है और तब जाकर यूपी सरकार की प्रशासनिक लापरवाही की यह भारी चूक उजागर हुई।
आपको बता दें कि झारखण्ड के रहने वाले गिरीश कुमार वाराणसी में एसडीएम के पद पर तैनात थे जहां पिछले साल नवंबर में गंभीर बिमारी की वजह से उनका निधन हो गया था। उनकी मौत के बाद मृतक आश्रित कोटे से उनके बेटे राहुल को वाराणसी जिला मुख्यालय में रिकॉर्ड रूम में नौकरी भी दे दी गई। पर रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है,न उनकी मृत्यु न बेटे की नौकरी। इस मामले के सामने के बाद राज्य सरकार ने गड़बड़ी का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दे दिए हैं और नियुक्ति विभाग के प्रमुख सचिव कामरान रिज़वी को इसका जिम्मा सौंपा है। वैसे मामला जो भी हो पर इससे पता यही चलता है कि भारत जैसे देश में आम आदमी के साथ पीसीएस जैसे खास आदमियों को भी अपने आप को मृत सूची में पंजीकृत करवाने के लिए बहुत मेहनत लगती है।