राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इंदिरा गांधी को सभी लोकतांत्रिक देश में अब तक की ‘सबसे स्वीकार्य’ प्रधानमंत्री बताते हुए उनकी निर्णायक क्षमता को याद किया। राष्ट्रपति ने अतीत को याद करते हुए इंदिरा गाँधी के लिए तमाम फैसलों को याद किया और उन्हें निर्णायक क्षमता में दक्ष अब तक की सबसे सफल नेतृत्वकर्ता बताया। इतना ही नहीं प्रणब मुखर्जी ने राहुल गांधी को संदेश देते हुए कहा कि फैसले लीजिए, अमल कीजिए, इंदिरा ने तीन महीने में ही कांग्रेस का कायाकल्प कर दिया था।
मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी नेतृत्व को सांगठनिक मामलों में तेजी से निर्णय लेने का संदेश देते हुए 1978 में कांग्रेस में दूसरा विभाजन होने के कुछ महीने बाद ही राज्य चुनावों में पार्टी के शानदार जीत की याद दिलाई। राष्ट्रपति ने विशिष्ट अतिथियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा कि वह 20वीं सदी की महत्वपूर्ण हस्ती थीं और भारत के लोगों के लिए अभी भी वह सर्वाधिक स्वीकार्य शासक या प्रधानमंत्री हैं।
कांग्रेस इंदिरा गांधी की शताब्दी जयंती मना रही है। मुखर्जी ने इस अवसर पर इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन और कार्यों पर एक पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने अंसारी द्वारा विमोचित ‘इंडियाज इंदिरा – ए सेंटेनियल ट्रिब्यूट’ की पहली प्रति ग्रहण की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा द्वारा संपादित इस पुस्तक में इंदिरा गांधी के कार्यों और उनके जीवन की घटनाओं का संकलन है तथा इसकी प्रस्तावना सोनिया गांधी ने लिखी है जो खराब स्वास्थ्य के कारण इस कार्यक्रम में शमिल नहीं हो सकीं। राहुल गांधी ने सोनिया गांधी की ओर से उनका भाषण पढ़ा। सोनिया ने इंदिरा गांधी को याद करते हुए कहा कि ‘वो एक मित्र और सलाहकार थीं। वो अपनी इच्छाएं मेरे ऊपर नहीं थोपें, इसको लेकर वह बेहद सतर्क थीं।’
राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से कहा, ‘इंदिरा गांधी पद, जाति और संप्रदाय जैसे भेदभाव को नपसंद करती थीं। उनके पास दंभ या आडंबर के लिए कोई वक्त नहीं था। वह पाखंड अथवा धोखेबाजी को तत्काल पहचान जाती थीं। उन्हें भारतीय होने का गर्व था, साथ ही वह वृहद एंव सहिष्णु विचारों वाली एक वैश्विक नागरिक थीं।’ इसी तरह उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उन्हें याद करते हुए वैश्विक शांति में विश्वास करने वाली और विकासशील देशों की स्वीकृत नेता बताया ।