बैंको में गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की बढती समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने बैंकिंग नियमन कानून के संसोधन सम्बन्धी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। ख़बरों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 6 लाख करोड़ को पार कर चुका है। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अध्यादेश के जरिये बैंकिंग नियमन कानून की धारा-35 ए में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इस संशोधन के बाद रिजर्व बैंक कर्ज की वसूली के लिए बैंकों को निर्देश जारी कर सकेगा।
इससे सम्बंधित विस्तृत जानकारी देने से इंकार करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मंत्रिमंडल ने बुधवार को बैंकिंग क्षेत्र के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। ज्यादा जानकारी इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि जब किसी प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो उसके ब्योरे का खुलासा मंजूरी से पहले नहीं किया जा सकता है। जेटली ने कहा कि जैसे ही इस पर मंजूरी मिलेगी, इसका ब्योरा साझा किया जाएगा।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह नया कानून बैंकों को फंसे कर्जे से मुक्ति दिलाने में अहम् साबित होगा। इससे रिज़र्व बैंक को ज्यादा अधिकार मिलने और एक विशेष समिति के गठन का रास्ता साफ़ हो जायेगा। इस समिति के पास एनपीए राशि को कम करने पर तेजी से फैसला करने का अधिकार होगा। समिति सभी बैंकों के लिए काम करेगी। इस कानून के लागू होने के बाद पैसा नहीं लौटाने वाली कंपनियों की संपत्तियों को दूसरी फर्मो को बहुत ही आसानी से बेचने की राह भी इससे निकलेगी। इसके अलावा बड़े लोन डिफाल्टर्स से भी कर्ज वसूली का रास्ता आसन हो सकेगा।