उमर खालिद–शरजील इमाम की जमानत याचिका…विरोध में दिल्ली पुलिस, सुप्रीम कोर्ट में तीखी दलीलों के बीच आज फिर सुनवाई

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2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े बड़े साजिश मामले में आरोपियों — उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुल्फिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान — की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज (शुक्रवार) भी सुनवाई जारी रहेगी। पिछली सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने जमानत का कड़ा विरोध किया था और आज भी अपनी दलीलें आगे रखेगी।

क्या कहा दिल्ली पुलिस ने?

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दावा किया कि ये मामला एक “बड़ी सुनियोजित साजिश” से जुड़ा है, जिसमें दंगों के दौरान 59 लोगों की मौत, एक पुलिसकर्मी की हत्या और 530 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
सुनवाई के दौरान पुलिस ने शरजील इमाम के भाषणों की वीडियो क्लिप्स कोर्ट को दिखाईं, जिनमें वह—

  • असम को भारत से काटने,
  • दिल्ली का “दूध-पानी” बंद करने,
  • और देश भर में चक्का-जाम की अपील

जैसी बातें करते सुना गया।

दिल्ली पुलिस का कहना है कि शरजील इमाम और अन्य आरोपियों के भाषणों का उद्देश्य युवाओं, खासकर मुसलमानों को भड़काना था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच के सामने पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने दलील दी कि जब शिक्षित या बुद्धिजीवी लोग उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो वे ज़मीन पर काम करने वाले आतंकवादियों की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक साबित होते हैं।

उन्होंने हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हालिया “व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल” का उदाहरण दिया, जिसमें एक डॉक्टर के पास से 2,900 किलो IED सामग्री बरामद हुई थी और अगले दिन उसके साथी डॉक्टर उमर नबी ने लाल किले के पास कार ब्लास्ट किया था, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद कई डॉक्टरों की गिरफ्तारी हुई थी। राजू के अनुसार इस तरह के मामलों से साफ होता है कि शिक्षित वर्ग का उग्रवाद कितना गंभीर रूप ले सकता है।

दिल्ली पुलिस ने यह भी दावा किया कि CAA विरोध प्रदर्शन सिर्फ एक मुखौटा था और वास्तविक मंशा सत्ता परिवर्तन, देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना और उस समय भारत आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को खराब करना था।

वहीं शरजील इमाम के वकील सिद्धार्थ दवे ने इन दलीलों का कड़ा विरोध किया और कहा कि लंबे भाषणों के केवल छोटे अंशों को अदालत में दिखाया जा रहा है, जिससे न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि भाषणों को संदर्भ से हटाकर पेश करना उचित नहीं है।

इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट आज भी सुनवाई जारी रखेगा। दोनों पक्षों की विस्तृत और गंभीर दलीलों को देखते हुए जमानत पर अंतिम फैसला आने में अभी समय लग सकता है।