जुगल हंसराज की मासूम: वो फिल्म जिसे एक्टर ने ठुकराया और बन गई बॉलीवुड की यादगार क्लासिक

0
1
जुगल हंसराज की मासूम: वो फिल्म जिसे एक्टर ने ठुकराया और बन गई बॉलीवुड की यादगार क्लासिक
जुगल हंसराज की मासूम: वो फिल्म जिसे एक्टर ने ठुकराया और बन गई बॉलीवुड की यादगार क्लासिक

फिल्म मोहब्बतें से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाले एक्टर जुगल हंसराज को बॉलीवुड में पहचान बहुत पहले ही मिल चुकी थी। बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट, उन्होंने शेखर कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म मासूम से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी और कई दिग्गज कलाकारों ने काम किया था। फिल्म में जुगल ने राहुल मल्होत्रा नाम के एक बच्चे का किरदार निभाया था, जिसे आज भी दर्शक याद करते हैं।

लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि जुगल हंसराज ने शुरुआत में इस फिल्म को करने से इंकार कर दिया था। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में एक्टर ने खुद इसका खुलासा किया।

फिल्म को करने से किया था मना

जुगल हंसराज ने बताया कि जब उन्हें मासूम ऑफर हुई, तो उन्होंने शुरू में मना कर दिया था। एक्टर के मुताबिक, “मैंने कहा कि मैं पूरी फिल्म में रोता ही जा रहा हूं। मेरे दोस्त मुझे ‘क्राइंग बेबी’ बुलाएंगे, और यह बात मुझे परेशान करेगी। इसलिए मैंने तय किया था कि मैं यह फिल्म नहीं करूंगा।”

लेकिन मासूम के निर्देशक शेखर कपूर ने हार नहीं मानी। वे बार-बार जुगल के घर जाते, उनके माता-पिता से मिलते, यहां तक कि उनके साथ क्रिकेट खेलने भी लग गए। धीरे-धीरे उन्होंने जुगल का दिल जीत लिया और अंततः जुगल ने फिल्म करने के लिए हामी भर दी।

फिल्म के एक बेहद लोकप्रिय गाने “लकड़ी की काठी” की शूटिंग भी जुगल पर ही की गई थी, जो आज भी बच्चों के बीच उतना ही पॉपुलर है जितना 1983 में रिलीज़ के वक्त था। फिल्म में उर्मिला मातोंडकर भी बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आई थीं।

धर्मेंद्र भी हुए थे भावुक

मासूम सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि दिल को छू लेने वाली कहानी थी। इसने दर्शकों के साथ-साथ फिल्म इंडस्ट्री के बड़े कलाकारों को भी भावुक कर दिया था। जुगल हंसराज ने बताया कि जब धर्मेंद्र ने यह फिल्म देखी, तो वे खुद अपने आंसू नहीं रोक पाए।

जुगल ने कहा, “धर्मेंद्र जी ने हमारे घर संदेश भेजा और फिर खुद कॉल किया। उन्होंने कहा कि यह पहली फिल्म है जिसे देखकर वे इतने भावुक हुए हैं। वे स्क्रीन पर अपने आंसू छिपा रहे थे, लेकिन फिल्म ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया।”

धर्मेंद्र जुगल के अभिनय से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने वादा किया — “अगर भविष्य में कोई फिल्म ऐसी बनती है जिसमें मेरे बेटे का रोल होगा, तो मैं उसमें तुम्हें ही कास्ट करूंगा।”

जुगल के माता-पिता को पढ़ाई की चिंता थी, जिस पर धर्मेंद्र ने कहा कि वह सिर्फ समर वेकेशन में शूटिंग करेंगे ताकि पढ़ाई पर असर न पड़े। जुगल ने आगे बताया कि उन्होंने लगातार चार से पांच समर वेकेशन धर्मेंद्र जी के साथ शूटिंग में बिताए और इस दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा।

मासूम — मासूमियत और भावनाओं का संगम

साल 1983 में रिलीज़ हुई मासूम हिंदी सिनेमा की सबसे भावनात्मक और सच्ची फिल्मों में से एक मानी जाती है। इसमें रिश्तों की जटिलता, मासूमियत और पितृत्व के भाव को बेहद संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया था।

और यही वजह है कि भले ही जुगल हंसराज ने शुरुआत में इसे ठुकराया था, लेकिन यह फिल्म उनके करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक बन गई। आज भी मासूम को हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है।