संयुक्त राष्ट्र की विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme – WFP) ने एक गंभीर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि उसके प्रमुख दानदाताओं द्वारा वित्त पोषण में की गई कटौती से उसकी राहत गतिविधियाँ बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 1.37 करोड़ लोग अब भुखमरी की कगार पर हैं।
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: “जीवनरेखा टूटती दिख रही है”
WFP की कार्यकारी निदेशक सिंडी मैककेन ने कहा, “हम लाखों लोगों की जीवनरेखा को अपनी आंखों के सामने टूटते हुए देख रहे हैं। यह सिर्फ़ धन की कमी नहीं है — यह इस बात का अंतर है कि हमें क्या करना चाहिए और हम क्या कर सकते हैं।”
छह देशों में गंभीर प्रभाव
एजेंसी ने बताया कि जिन देशों में सबसे अधिक असर देखा जा रहा है, उनमें अफगानिस्तान, कांगो, हैती, सोमालिया, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं। इन देशों में जारी संघर्ष, जलवायु संकट और राजनीतिक अस्थिरता के कारण पहले से ही हालात नाजुक थे, और अब वित्तीय संसाधनों की कमी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
40% तक घटा WFP का बजट
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में WFP को मिलने वाला वित्त पोषण 40% तक कम हो गया है। एजेंसी का वार्षिक बजट 10 अरब डॉलर से घटकर 6.4 अरब डॉलर रह गया है। WFP ने कहा कि यह उसकी इतिहास की “सबसे बड़ी वित्तीय चुनौती” है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका (ट्रंप प्रशासन के दौरान) और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा की गई सहायता कटौती है।
वैश्विक भूख: रिकॉर्ड स्तर पर संकट
रोम स्थित इस एजेंसी ने कहा कि विश्व में 31.9 करोड़ लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जिनमें से 4.4 करोड़ लोग आपात स्थिति में हैं। गाजा और सूडान जैसे क्षेत्रों में तो स्थिति इतनी विकट है कि वहाँ अकाल (famine) घोषित किया जा चुका है।
अफगानिस्तान की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, जहाँ खाद्य सहायता अब 10% से भी कम आबादी तक पहुँच रही है। इसका अर्थ है कि अधिकांश लोगों को यह नहीं पता कि उनका अगला भोजन कहां से आएगा।
दशकों की प्रगति खतरे में
मैककेन ने कहा कि अगर जल्द राहत नहीं दी गई, तो दुनिया “भुखमरी के खिलाफ लड़ी गई दशकों की प्रगति” खो सकती है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वित्तीय समर्थन बहाल किया जाए, ताकि सबसे प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य जारी रह सकें।