क्या है IRCTC घोटाला? बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार के लिए क्यों बढ़ी मुश्किलें, जानिए पूरा मामला

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क्या है IRCTC घोटाला?
क्या है IRCTC घोटाला?

बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाले IRCTC घोटाले ने एक बार फिर लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। चुनावी मौसम में आया यह फैसला आरजेडी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है और माना जा रहा है कि यह मुद्दा बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी बहस का केंद्र बन सकता है।

लालू के रेल मंत्री रहते हुआ था घोटाला

यह मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे। 2004 से 2009 के बीच हुए इस कथित घोटाले को लेकर सीबीआई ने लालू यादव, उनके परिवार और कुछ अन्य अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप लगाए हैं।

आरोप: जमीन के बदले होटल संचालन के ठेके

सीबीआई की जांच के अनुसार, IRCTC के तहत पुरी और रांची स्थित BNR होटलों के संचालन और रखरखाव के ठेके “जमीन के बदले” दिए गए थे। एजेंसी का कहना है कि लालू यादव और उनके करीबियों ने इन ठेकों में भारी हेराफेरी की, जिससे कुछ निजी कंपनियों को अनुचित लाभ हुआ। बदले में लालू परिवार से जुड़ी एक बेनामी कंपनी को बाजार मूल्य से कहीं कम दाम पर जमीन दी गई।

कैसे हुई ठेका प्रक्रिया में हेराफेरी

जांच एजेंसी के मुताबिक, IRCTC ने जब निजी कंपनियों को होटल संचालन के ठेके देने का फैसला किया, तभी इस पूरे घोटाले की नींव रखी गई। सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को फेवर किया गया ताकि उसे टेंडर मिल सके। बताया गया कि इस सौदे में लालू परिवार को परोक्ष तौर पर लाभ पहुंचाने के लिए प्रक्रियागत नियमों को दरकिनार किया गया था।

सुजाता होटल्स और लैंड डील का कनेक्शन

सीबीआई के अनुसार, सुजाता होटल्स की मालकिन सरला गुप्ता थीं, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री और लालू यादव के करीबी प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी हैं। इसी कंपनी को IRCTC के होटल संचालन का ठेका मिला। बाद में इस कंपनी ने कथित तौर पर लालू परिवार की एक बेनामी कंपनी को बेहद कम कीमत पर जमीन बेच दी। यह जमीन सौदा ही पूरे “लैंड फॉर होटल” घोटाले की जड़ बना।

14 आरोपियों के खिलाफ तय हुए आरोप

सीबीआई ने इस मामले में कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया है। इनमें लालू प्रसाद यादव मुख्य आरोपी हैं, जिन पर पूरी साजिश रचने का आरोप है। राबड़ी देवी पर लैंड डील में शामिल होने का आरोप है, जबकि तेजस्वी यादव पर परिवारिक लाभ प्राप्त करने का। इसके अलावा प्रेमचंद गुप्ता और उनकी पत्नी सरला गुप्ता भी आरोपी हैं। इनके साथ IRCTC के चार अधिकारी और सुजाता होटल्स के डायरेक्टरों पर भी आरोप तय हुए हैं।

कोर्ट का फैसला और चुनावी असर

सीबीआई की दलीलें पूरी होने के बाद, कोर्ट ने माना कि सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। अदालत के इस फैसले के बाद अब सभी पर मुकदमा चलेगा। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस मामले की सुनवाई और तेज होगी और विपक्ष इसे एक बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में उठाएगा।

IRCTC घोटाले का यह अध्याय न केवल कानूनी रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से भी बड़ा असर डाल सकता है। जिस समय लालू परिवार राज्य की राजनीति में मजबूती से अपनी स्थिति बनाने की कोशिश कर रहा है, उसी वक्त यह फैसला उनके लिए नई चुनौती बनकर आया है।