
ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा
तमिलनाडु में 7 वर्षीय बच्ची के रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने आरोपी दशवंत को सभी आरोपों से बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा, “हमें लगता है कि अभियोजन पक्ष महत्वपूर्ण परिस्थितियों को साबित करने में असफल रहा है। इसलिए, आरोपी को बरी किया जाता है और अगर वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।”
2017 में हुआ था मामला, ट्रायल कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा
यह मामला वर्ष 2017 का है, जब आरोपी दशवंत को एक 7 वर्षीय बच्ची के रेप और मर्डर के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। बाद में मद्रास हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अब दोनों निचली अदालतों के फैसलों को पलटते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष के पास न तो ठोस सबूत हैं और न ही कोई सुसंगत परिस्थितिजन्य प्रमाण, जिससे दोष सिद्ध हो सके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – संदेह का लाभ आरोपी को
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि केवल संदेह या अधूरे साक्ष्यों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा, “कानून का सिद्धांत स्पष्ट है कि यदि अभियोजन पक्ष ठोस सबूत प्रस्तुत करने में असफल रहता है, तो आरोपी को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।”
इस आदेश के बाद आरोपी दशवंत की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है, बशर्ते उस पर कोई अन्य मामला लंबित न हो।