चंद्रशेखर की बिहार एंट्री से सियासी समीकरणों में हलचल, 100 सीटों पर आजाद समाज पार्टी की तैयारी

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चंद्रशेखर की बिहार एंट्री से सियासी समीकरणों में हलचल
चंद्रशेखर की बिहार एंट्री से सियासी समीकरणों में हलचल

जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक फिजा में उथल-पुथल तेज होती जा रही है। जहां अब तक मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और इंडिया ब्लॉक के बीच माना जा रहा था, वहीं अब बाहरी क्षेत्रीय दल भी मैदान में ताल ठोकने लगे हैं। उत्तर प्रदेश की भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी, आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम), ने बिहार में बड़े पैमाने पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।

100 सीटों पर दावेदारी, 60 पर संगठन खड़ा

पटना में बुधवार को प्रेस वार्ता के दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जौहर आज़ाद ने घोषणा की कि वे राज्य की 100 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इनमें से 60 सीटों पर पहले ही विधानसभा प्रभारियों की नियुक्ति हो चुकी है, जबकि बाकी सीटों के लिए कार्य अंतिम चरण में है।

महागठबंधन को 46 सीटों पर सीधी चुनौती

पार्टी का दावा है कि जिन 100 सीटों पर वह किस्मत आज़माएगी, उनमें 46 पर सीधा टक्कर महागठबंधन से होगा। जौहर आज़ाद ने कहा कि इन सभी सीटों पर बूथ स्तर तक कार्यकर्ता सक्रिय हैं। साथ ही महागठबंधन पर यह आरोप भी लगाया कि वह तमाम सामाजिक वर्गों को बराबरी से प्रतिनिधित्व नहीं दे रहा, जिससे आम जनता में नाराज़गी पनप रही है।

आजाद समाज पार्टी ने यह भी ऐलान किया कि वह 21 जुलाई को पटना में अपना राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करेगी, जिसमें पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद स्वयं मौजूद रहेंगे और चुनावी रणनीति की अंतिम रूपरेखा तैयार करेंगे।

लोजपा (रामविलास) का जवाब – कोई असर नहीं पड़ेगा

इस घटनाक्रम पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। प्रवक्ता शशि भूषण प्रसाद ने कहा कि लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का हक है, लेकिन इससे उनकी पार्टी की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने दावा किया कि दलित समाज चिराग पासवान के साथ मजबूती से खड़ा है और चिराग ही उनके सच्चे प्रतिनिधि हैं।

विश्लेषकों की नजर में दलित वोटों की नई लड़ाई

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी बिहार में विशेष रूप से रविदास समुदाय के वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी। वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का कहना है कि यूपी की तर्ज पर बिहार में भी चंद्रशेखर मायावती और भाकपा (माले) के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास कर सकते हैं।

उनके मुताबिक, अगर चंद्रशेखर आज़ाद इस समुदाय के कुछ वोट भी अपने पक्ष में करने में सफल रहते हैं, तो आरजेडी समेत महागठबंधन को कई सीटों पर झटका लग सकता है। उन्होंने कहा कि यदि पार्टी प्रत्येक सीट पर 500 से 1000 वोट भी खींचने में सफल रही, तो कई निर्वाचन क्षेत्रों में समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।

एनडीए को नुकसान की संभावना कम

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि एनडीए को इस नई चुनौती से कोई विशेष नुकसान नहीं होगा। चंद्रशेखर का प्रभाव मुख्यतः रविदास समाज पर केंद्रित है, जबकि पासवान समुदाय अब भी एनडीए के साथ बना हुआ है और चिराग पासवान की स्थिति वहां मजबूत मानी जा रही है। यानी इस नए समीकरण से सबसे ज्यादा असर महागठबंधन के पक्ष पर ही पड़ने की आशंका है।