‘यूरेनियम लौटाओ वरना…’ – जंग के बाद ईरान को इजरायल की सख्त चेतावनी

0
7
जंग के बाद ईरान को इजरायल की सख्त चेतावनी
जंग के बाद ईरान को इजरायल की सख्त चेतावनी

युद्धविराम के बाद भी इजरायल ने ईरान के खिलाफ आक्रामक रुख बरकरार रखा है। इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने साफ कहा है कि ईरान को संवर्धित यूरेनियम लौटाना होगा, जो कि खतरनाक स्तर तक एनरिच किया गया है। उन्होंने बताया कि अमेरिका और इजरायल की ओर से यह संयुक्त संदेश ईरान को भेजा गया है कि उसे अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे हटना होगा।

अब ईरान के पास नहीं है बम बनाने की तकनीकी क्षमता

रक्षा मंत्री काट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि हालिया इजरायली हमलों का मकसद ईरान की परमाणु शक्ति को कमजोर करना था। उन्होंने दावा किया कि ईरान के पास अब ऐसा कोई जरिया नहीं है जिससे वह यूरेनियम को हथियार में तब्दील कर सके क्योंकि उसकी वह ट्रांसफर फैसिलिटी भी नष्ट कर दी गई है।

लेकिन इजरायल को यह नहीं पता कि यूरेनियम आखिर है कहां

काट्ज ने यह स्वीकार किया कि इजरायल को यह जानकारी नहीं है कि ईरान ने अपना पूरा संवर्धित यूरेनियम कहां छिपा रखा है। यह चिंता बढ़ा रही है कि ईरान कहीं गुप्त रूप से परमाणु बम बनाने की तैयारी तो नहीं कर रहा है।

‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी हमले से पहले ईरान के फोर्डो केंद्र के पास ट्रकों की आवाजाही देखी गई थी। इससे आशंका है कि ईरान ने वहां से यूरेनियम पहले ही हटा लिया था। यूरोपीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ईरान के पास अब भी लगभग 408 किलोग्राम हाई-ग्रेड यूरेनियम मौजूद है जो हथियार निर्माण के लिए काफी है और यह हाल ही में फोर्डो में मौजूद नहीं था।

खामेनेई को मारने की थी योजना

इजरायल के रक्षा मंत्री ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि युद्ध के दौरान इजरायली सेना की योजना ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई को निशाना बनाने की थी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा कोई अवसर नहीं मिला जिससे उस योजना को अंजाम दिया जा सके।

अमेरिका से नहीं ली गई थी इजाजत

जब काट्ज से पूछा गया कि क्या खामेनेई को टारगेट करने के लिए अमेरिका से इजाजत ली गई थी, तो उन्होंने साफ कहा कि इजरायल को इस तरह के मामलों में किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने बताया कि खामेनेई को निशाना बनाने का निर्णय पहले ही लिया गया था, लेकिन जैसे ही वह सुरक्षित बंकर में चले गए, उन्हें ट्रैक कर पाना मुश्किल हो गया और हमला नहीं किया जा सका। यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि भले ही जंग थम गई हो, लेकिन परमाणु विवाद अभी भी गंभीर स्तर पर बना हुआ है।