भारत निर्वाचन आयोग ने 345 ऐसे पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को अपनी सूची से हटाने का निर्णय लिया है, जो बीते छह वर्षों से किसी भी प्रकार के चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाए हैं और जिनके पते पर कोई सक्रिय कार्यालय मौजूद नहीं मिला। आयोग का कहना है कि ये दल उन जरूरी शर्तों को पूरा नहीं कर रहे हैं, जो एक पंजीकृत राजनीतिक दल के तौर पर बने रहने के लिए आवश्यक हैं। देशभर में कुल 2800 से अधिक RUPPs पंजीकृत हैं, जिनमें से कई लंबे समय से निष्क्रिय हैं और किसी भी चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी नहीं कर रहे हैं।
नियम क्या कहते हैं?
चुनाव आयोग द्वारा अपनाए गए प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई राजनीतिक दल लगातार छह वर्षों तक लोकसभा, विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनावों में भाग नहीं लेता, तो उसके पंजीकरण को रद्द किया जा सकता है। यह प्रावधान 1951 के प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29A और चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत आता है। आयोग ने इन दलों के पंजीकृत पतों का भौतिक सत्यापन कराया और पाया कि वहां कोई मौजूद नहीं था। माना जाता है कि ऐसे निष्क्रिय दल कागजों तक ही सीमित रहते हैं और कुछ मामलों में टैक्स छूट, मनी लॉन्ड्रिंग या अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
पहले भी की जा चुकी है कार्रवाई
2022 में आयोग ने इसी तरह की प्रक्रिया के तहत 86 ऐसे राजनीतिक दलों को हटाया था, जो निष्क्रिय पाए गए थे, जबकि 253 दलों को ‘निष्क्रिय’ की श्रेणी में डाल दिया गया था। इस बार फिर आयोग ने उसी दिशा में कड़ा रुख अपनाते हुए 345 दलों को सूची से हटाने का निर्णय किया है। इनमें से कई दल ऐसे हैं जिन्होंने आयोग को अपने पते में बदलाव या अन्य विवरणों की कोई सूचना नहीं दी, जो कि नियमों का उल्लंघन है। इससे इन दलों को मिलने वाले लाभ जैसे मुफ्त चुनाव चिन्ह और अन्य सुविधाएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी।
RUPPs को लेकर आयोग की चिंताएं
रजिस्टर्ड अनरजिस्टर पॉलिटिकल पार्टी (RUPP) वे राजनीतिक संगठन होते हैं जिन्हें अभी तक राज्य या राष्ट्रीय दल का दर्जा नहीं मिला है। ये दल या तो नए होते हैं, या फिर ऐसे जिनके पास चुनावों में आवश्यक वोट प्रतिशत नहीं होता। हालांकि इन्हें कुछ सीमित सुविधाएं जैसे कॉमन सिंबल आवंटन का अधिकार प्राप्त होता है। चुनाव आयोग का मानना है कि कई RUPPs इन सीमित अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं और केवल कागजी संगठन बनकर रह गए हैं, जिनका कोई वास्तविक राजनीतिक या जन प्रतिनिधित्व नहीं है।
आने वाले समय में भी जारी रहेगा एक्शन
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह इस प्रकार की कार्रवाई भविष्य में भी करता रहेगा, ताकि केवल सक्रिय, पारदर्शी और लोकतांत्रिक मूल्यों वाले दल ही पंजीकरण सूची में बने रहें। धारा 29A के तहत यह आवश्यक है कि कोई भी पंजीकृत दल अपने कार्यालय, प्रमुख पदाधिकारियों और संरचना से संबंधित किसी भी परिवर्तन की सूचना आयोग को समय पर दे। यदि ऐसा नहीं किया जाता और दल की गतिविधियां निष्क्रिय पाई जाती हैं, तो उसका पंजीकरण निरस्त किया जा सकता है। यह कदम चुनावी व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जरूरी बताया गया है।