स्वास्थ्य घोटाले में सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ ACB की बड़ी कार्रवाई, FIR दर्ज

0
3
स्वास्थ्य घोटाले में सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ ACB की बड़ी कार्रवाई, FIR दर्ज
स्वास्थ्य घोटाले में सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ ACB की बड़ी कार्रवाई, FIR दर्ज

दिल्ली सरकार में मंत्री रह चुके और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन की परेशानियां एक बार फिर बढ़ने वाली हैं। राजधानी में अस्पताल निर्माण परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार और लागत में भारी इजाफे को लेकर एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने दोनों नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज की है। यह कार्रवाई दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की सिफारिश पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद की गई है। स्वास्थ्य घोटाले से जुड़े इस मामले की शिकायत भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने 22 अगस्त 2024 को की थी, जिस पर अब जांच तेज़ हो गई है।

जांच के दायरे में अस्पतालों की लागत और समय सीमा

प्राथमिक जांच में सामने आया है कि 6800 बेड वाले 7 आईसीयू के निर्माण के लिए स्वीकृत 1125 करोड़ रुपये की परियोजना निर्धारित छह महीने की डेडलाइन में पूरी नहीं हो सकी। तीन साल बाद भी इसका आधा काम ही हो पाया है, जबकि अब तक 800 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 2018-19 में प्रस्तावित 24 अस्पतालों की योजनाओं में भी भारी देरी और लागत में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी देखी गई है। जिनमें 11 ग्रीनफील्ड और 13 ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट शामिल थे, जिनकी कुल अनुमानित लागत 5590 करोड़ रुपये थी।

बढ़ती लागत और अधूरे काम की हकीकत

जांच में एलएनजेपी अस्पताल के एक नए ब्लॉक का मामला भी सामने आया, जिसके लिए शुरू में 488 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, लेकिन अब इसकी लागत बढ़कर 1135 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि काम अब भी अधूरा है। वहीं पॉलिक्लिनिक परियोजना की हालत भी खराब है—94 में से केवल 52 ही बने हैं और उनकी लागत भी 168 करोड़ से बढ़कर 220 करोड़ पहुंच चुकी है।

अनियमित निर्माण और मंजूरी के बिना काम

रिपोर्ट में ज्वालापुरी और मादीपुर स्थित अस्पतालों में बिना आवश्यक अनुमति के अतिरिक्त निर्माण किए जाने की बात कही गई है। मादीपुर अस्पताल का निर्माण नवंबर 2022 तक पूरा होना था, लेकिन अब तक वह भी अधूरा है।

इन तमाम अनियमितताओं को देखते हुए ACB ने अब न केवल पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों पर, बल्कि जुड़े अधिकारियों और निजी ठेकेदारों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जांच का दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है और आने वाले समय में इस मामले में और खुलासे हो सकते हैं।