Defence Imports: यूक्रेन के बाद भारत बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक, रूस पर निर्भरता घटी

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Defence Imports: भारत दुनिया में हथियार आयात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब यूक्रेन के बाद सबसे अधिक हथियार आयात करने वाला देश बन चुका है। रिपोर्ट बताती है कि भारत अपनी सुरक्षा चुनौतियों और सैन्य आधुनिकीकरण की जरूरतों को देखते हुए लगातार रक्षा आयात बढ़ाता रहा है। हालांकि, भारत ने पिछले पांच वर्षों में रूस पर अपनी सैन्य निर्भरता को 64% तक कम कर दिया है और अब फ्रांस, इजरायल और अमेरिका जैसे देशों से हथियारों की आपूर्ति को प्राथमिकता दे रहा है। सरकार द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन अभी भी रक्षा उपकरणों की आपूर्ति के लिए विदेशी आयात पर निर्भरता बनी हुई है।

फ्रांस से बढ़ा सैन्य सहयोग, बना दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक

SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस 2020-2024 के दौरान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बनकर उभरा है। इस दौरान 65 देशों को फ्रांसीसी हथियारों की आपूर्ति की गई, जिसमें भारत सबसे बड़ा ग्राहक रहा। फ्रांस के कुल हथियार निर्यात का 28 फीसदी हिस्सा भारत ने खरीदा।

  • भारत के बाद कतर फ्रांस का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक रहा, जिसने 9.7 प्रतिशत हथियारों की खरीद की।
  • राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस के सबसे अधिक निर्यात किए जाने वाले सैन्य उपकरणों में शामिल है, जिसे भारत ने बड़ी संख्या में खरीदा है।

रूस के हथियार निर्यात में गिरावट, भारत का झुकाव पश्चिम की ओर

रूस, जो कभी दुनिया का शीर्ष हथियार निर्यातक था, अब सैन्य आपूर्ति में गिरावट का सामना कर रहा है।

📉 पिछले पांच वर्षों में रूस के हथियार निर्यात में 64% की गिरावट आई है।
📉 हालांकि, भारत अभी भी रूस का सबसे बड़ा हथियार खरीदार बना हुआ है, जिसने उसके कुल निर्यात का 38% हिस्सा प्राप्त किया।
📉 लेकिन भारत ने रूस पर अपनी सैन्य निर्भरता घटाते हुए फ्रांस, अमेरिका और इजरायल से सैन्य उपकरणों की खरीद को बढ़ावा दिया है।

भारत का सैन्य आधुनिकीकरण और रक्षा सहयोग

भारत अपनी सुरक्षा रणनीति और सैन्य आधुनिकीकरण को ध्यान में रखते हुए विभिन्न देशों के साथ रक्षा समझौते कर रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं के तहत स्वदेशी सैन्य उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी भारत को अपनी रक्षा जरूरतों के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

➡️ रूस से दूरी: रूस के साथ-साथ भारत ने हथियार आपूर्ति के लिए अन्य देशों की ओर रुख किया है।
➡️ फ्रांस के साथ मजबूत साझेदारी: भारत अब फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान, स्कॉर्पीन पनडुब्बी और अन्य उन्नत हथियार प्रणाली खरीद रहा है।
➡️ अमेरिका और इजरायल से सहयोग: भारत ने अमेरिका से अत्याधुनिक ड्रोन, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और हेलीकॉप्टरों की खरीद की है, जबकि इजरायल से भी कई रक्षा उपकरण लिए जा रहे हैं।

भारत की बदलती सैन्य नीति और वैश्विक रक्षा रणनीति

SIPRI की रिपोर्ट से साफ है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों को लेकर नई रणनीति अपना रहा है। जहां एक ओर वह हथियारों की खरीद में रूस से थोड़ी अपनी दूरी बना रहा है, वहीं दूसरी ओर फ्रांस, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ सैन्य सहयोग को मजबूत कर रहा है।

भारत के इस बदलाव का मकसद आधुनिक तकनीक से लैस सेना तैयार करना और वैश्विक सैन्य शक्ति बनना माना जा रहा है। हालांकि, रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में अभी लंबा सफर तय करना बाकी है, लेकिन मौजूदा आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत दुनिया के शीर्ष रक्षा खरीदारों में अपनी स्थिति और मजबूत कर रहा है।