उत्तराखंड में 27 जनवरी, 2025 को समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गई है, जो राज्य के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी ढांचा सुनिश्चित करती है। यह कानून प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और जिम्मेदारियां प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया है, जो समाज में समानता लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कानून को लागू करते हुए कहा कि यह समाज में बदलाव लाएगा और कुप्रथाओं को समाप्त करेगा। यूसीसी का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच समानता को बढ़ावा देना है, और यह कानून अब से सभी पर एक जैसे लागू होगा।
यूसीसी के प्रमुख बदलाव
लिव-इन रिलेशनशिप में बदलाव: उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी नए नियम लागू किए गए हैं। अब लिव-इन में रहने के लिए कपल को रजिस्ट्रार के सामने अपनी स्थिति की जानकारी देनी होगी। एक महीने से ज्यादा समय तक बिना रजिस्ट्रेशन के लिव-इन में रहने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। इस कानून के तहत लिव-इन में जन्मे बच्चों को भी कानूनी मान्यता दी जाएगी और महिला को गुजारा भत्ता की अनुमति होगी।
हलाला और बहुविवाह पर रोक: यूसीसी के तहत हलाला प्रथा और बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। इससे मुस्लिम समुदाय में प्रचलित इन कुप्रथाओं को खत्म किया गया है। अब इस राज्य में कोई भी व्यक्ति इन प्रथाओं का पालन नहीं कर सकेगा।
विवाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन: अब हर विवाह को 60 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, तलाक को भी एक कानूनी प्रक्रिया के रूप में रजिस्टर करना होगा। इस बदलाव के साथ विवाह-विच्छेद में समानता लाई गई है।
बेटा और बेटी को समान संपत्ति अधिकार: अब सभी समुदायों के बेटों और बेटियों को अपने पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इस कानून के तहत, लिव-इन रिलेशनशिप और प्राकृतिक संबंधों से जन्मे बच्चों को भी संपत्ति में अधिकार मिलेगा। इसके अलावा, पत्नी और बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी संपत्ति में अधिकार प्राप्त होगा।
गोद लेने से संबंधित नया नियम: यूसीसी के तहत, अब सभी धर्मों के लोग केवल अपने धर्म के बच्चों को ही गोद ले सकते हैं। दूसरे धर्म के बच्चों को गोद लेने की अनुमति नहीं होगी, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर सभी पर लागू: संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत, अनुसूचित जनजातियों को इस कानून से बाहर रखा गया है। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय की परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य
यूसीसी का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे लागू करते हुए कहा कि यह किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि समाज में समानता लाने का कानूनी प्रयास है। यह कुप्रथाओं जैसे तीन तलाक, हलाला, बहुविवाह, और बाल विवाह को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, विवाह, तलाक, और संपत्ति के मामलों में सभी धर्मों को समान अधिकार मिलेगा।