Executive Order: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद लिए गए कई फैसले न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गए। इन फैसलों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका का बाहर होना, मेक्सिको सीमा पर आपातकाल, पेरिस जलवायु समझौते से अलगाव, इमिग्रेशन, और कई अन्य बड़े कदम शामिल हैं। इन फैसलों के पीछे जो मुख्य साधन था, वह था “एग्जीक्यूटिव ऑर्डर”। आइए, जानते हैं कि यह एग्जीक्यूटिव ऑर्डर क्या है और कैसे इसका उपयोग किया जाता है।
क्या है एग्जीक्यूटिव ऑर्डर?
एग्जीक्यूटिव ऑर्डर, अमेरिका के राष्ट्रपति को प्राप्त एक विशेषाधिकार है, जो उन्हें कांग्रेस की मंजूरी के बिना सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने या बदलने का अधिकार देता है। यह आदेश अमेरिकी संविधान की धारा 2 के तहत राष्ट्रपति को दिए गए अधिकारों पर आधारित है। इसके जरिए राष्ट्रपति सरकारी एजेंसियों को यह निर्देश दे सकते हैं कि वे नीतियों को किस तरह लागू करें।
एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का महत्व और विवाद
एग्जीक्यूटिव ऑर्डर को अक्सर तत्काल प्रभाव वाले फैसले लेने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह कभी-कभी विवाद का कारण भी बनता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे कानूनी या संवैधानिक रूप से चुनौती दी जा सकती है। हालांकि, यह आदेश राष्ट्रपति को सत्ता में व्यापक लचीलापन प्रदान करता है।
डोनाल्ड ट्रंप के बड़े फैसले और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर
डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का भरपूर उपयोग किया। उन्होंने अपने पूर्ववर्ती बराक ओबामा के कई फैसलों को पलट दिया, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- पेरिस जलवायु समझौते से अलगाव: डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को जलवायु परिवर्तन पर महत्वाकांक्षी पेरिस समझौते से भी हटने का फैसला किया है। ट्रंप ने अमेरिका को इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से बाहर कर दिया, जिसमें जलवायु परिवर्तन को कम करने के उपाय शामिल थे।
- WHO से अलगाव: ट्रंप ने महामारी के दौरान WHO को अमेरिका के लिए अप्रासंगिक बताते हुए इससे अलग होने का फैसला किया।
- मेक्सिको बॉर्डर पर आपातकाल: ट्रंप ने दक्षिणी सीमा पर दीवार निर्माण के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का उपयोग किया।
- टिक-टॉक और अन्य चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध: उन्होंने इन ऐप्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और इन पर प्रतिबंध लगाने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किए।
- BRICS से टक्कर: डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि यह समूह अमेरिका विरोधी नीतियां अपनाता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी नीतियां ब्रिक्स देशों के लिए नुकसानदायक होंगी और उनके लिए खुशहाल स्थिति बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
एग्जीक्यूटिव ऑर्डर और अन्य राष्ट्रपति
बता दें कि जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने भी एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का इस्तेमाल करते हुए ट्रंप के कई फैसलों को पलट दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे पहले सबसे अधिक ये ऑर्डर जारी करने का रिकॉर्ड पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट के नाम है, जिन्होंने 3,721 आदेश पारित किए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में 220, बराक ओबामा ने 276, जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने 291, और बिल क्लिंटन ने 364 एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किए थे।
क्या एग्जीक्यूटिव ऑर्डर को चुनौती दी जा सकती है?
एग्जीक्यूटिव ऑर्डर को चुनौती दी जा सकती है। यह कानूनी समीक्षा से ऊपर नहीं होता। हर आदेश की वैधता और प्रारूप की समीक्षा की जाती है, लेकिन यह हमेशा सुनिश्चित नहीं होता। न्यायालय ऐसे आदेशों की जांच कर सकता है, और अगर यह कानून या संविधान के अनुरूप नहीं है, तो इसे रद्द किया जा सकता है। कुछ मामलों में, नीतियों को लागू करने के लिए विधायी शाखा की मंजूरी जरूरी होती है।
कांग्रेस की शक्ति और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का रद्द होना
कांग्रेस कार्यकारी आदेश को अमान्य करने के लिए कानून पारित कर सकती है, लेकिन राष्ट्रपति इस पर वीटो लगा सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस दो-तिहाई बहुमत से इस वीटो को रद्द कर सकती है, लेकिन यह प्रक्रिया बेहद दुर्लभ है। इसलिए, कार्यकारी आदेश को रद्द करना आमतौर पर मुश्किल माना जाता है।
एग्जीक्यूटिव ऑर्डर आमतौर पर उन मामलों में उपयोग किया जाता है जहां राष्ट्रपति को लगता है कि तत्काल निर्णय की आवश्यकता है। हालांकि, इसका उपयोग सीमित है और इसे न्यायिक प्रणाली द्वारा चुनौती दी जा सकती है।
एग्जीक्यूटिव ऑर्डर अमेरिकी राष्ट्रपति की एक शक्तिशाली प्रक्रिया है, जो उन्हें बिना किसी बाधा के त्वरित निर्णय लेने की अनुमति देती है। हालांकि, इसका अत्यधिक उपयोग कभी-कभी विवाद और राजनीतिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।