Harsha Richhariya: महाकुंभ की वायरल इन्फ्लुएंसर हर्षा रिछारिया ने कहा, ‘मैं साध्वी बनी नहीं हूं… यह टैग सही नहीं’

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'मैं साध्वी बनी नहीं हूं... ये टैग ठीक नहीं,' महाकुंभ की वायरल इन्फ्लुएंसर ने खुद कबूली ये बात
'मैं साध्वी बनी नहीं हूं... ये टैग ठीक नहीं,' महाकुंभ की वायरल इन्फ्लुएंसर ने खुद कबूली ये बात

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेले की शुरुआत हो चुकी है, और यह मेले 26 फरवरी 2025 तक जारी रहेगा। इस साल लाखों श्रद्धालु महाकुंभ में भाग लेने के लिए आए हैं, लेकिन इन सबके बीच निरंजनी अखाड़े की साध्वी हर्षा रिछारिया चर्चा का विषय बन गई हैं। हर्षा रिछारिया, जो पहले एक प्रसिद्ध एंकर थीं, महाकुंभ में रथ पर सवार होकर आईं और उन्हें सबसे सुंदर साध्वी के रूप में पहचाना जा रहा है। हालांकि, अब हर्षा ने खुद खुलासा किया है कि वह साध्वी नहीं बनी हैं और इस टैग को लेकर वह पूरी तरह से स्पष्ट हो गई हैं।

साध्वी बनने का टैग सही नहीं:

हर्षा रिछारिया ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा, “मैंने कभी भी यह नहीं कहा कि मैं बचपन से साध्वी हूं। साध्वी मैं अभी भी नहीं हूं, बल्कि मैं इस रास्ते पर बढ़ रही हूं। मुझे सोशल मीडिया और लोगों ने साध्वी हर्षा का टैग दे दिया। साध्वी होना खुद में एक बहुत बड़ी बात है और इसके लिए कई परंपराएं और संस्कार होते हैं, जिन्हें पूरा करना पड़ता है। मैंने तो बस मंत्र दीक्षा ली है और इसे कोई भी ले सकता है। यह गृहस्थ जीवन में भी लिया जा सकता है।”

युवाओं के लिए अपनी जर्नी साझा करना चाहती हूं:

हर्षा ने अपनी पुरानी तस्वीरों और वीडियो के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, “अगर मैं चाहती तो अपनी पुरानी सारी वीडियो और फोटोज डिलीट कर सकती थी, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं अपनी जर्नी युवाओं के सामने रखना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि लोग देखें कि मैंने एंकरिंग से लेकर यहां तक का सफर तय किया है, और मुझे लगता है कि अगर मैं यह कर सकती हूं, तो कोई भी इसे कर सकता है।”

अपने प्रोफेशन को छोड़ने का फैसला था खुद का:

हर्षा ने कहा कि उनका प्रोफेशन छोड़ने का फैसला पूरी तरह से उनका था। उन्होंने बताया, “मेरी मुलाकात परम पूज्य गुरुदेव से डेढ़ साल पहले हुई थी। उन्होंने कभी भी मुझसे नहीं कहा कि तुम अपना काम छोड़ दो, बल्कि उन्होंने यह कहा कि काम के साथ-साथ भक्ति भी की जा सकती है। लेकिन मेरे लिए प्रोफेशन छोड़ना एक व्यक्तिगत निर्णय था। अब मैं जो भी कर रही हूं, उसमें बहुत खुश हूं, और मुझे लगता है कि अपने धर्म और संस्कृति से जुड़ा रहना बेहद महत्वपूर्ण है।”

साध्वी होने पर क्या बोलीं हर्षा:

साध्वी हर्षा को सबसे खूबसूरत साध्वी कहे जाने पर भी उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “रंग-रूप का भक्ति से कोई संबंध नहीं होता। भगवान की भक्ति तो कोई भी, किसी भी उम्र और किसी भी रंग-रूप के साथ कर सकता है। भक्ति का कोई बंधन नहीं होता, और इसे सभी को समान रूप से करना चाहिए।”

इस प्रकार, हर्षा रिछारिया ने अपनी यात्रा और अपने फैसलों को लेकर पूरी तरह से स्पष्टता दी और अपनी निजी जिंदगी के बारे में बात की, ताकि लोग उनके संघर्ष और बदलाव को समझ सकें।