बुमराह लंबे समय तक क्यों नहीं बने रह सकते कप्तान? यहां जानें बड़ी वजह

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बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 के अंतिम टेस्ट यानी सिडनी टेस्ट में रोहित शर्मा ने अपनी खराब फॉर्म के कारण प्लेइंग 11 से रेस्ट लिया। जिसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में हेड कोच गौतम गंभीर ने पुष्टि की कि जसप्रीत बुमराह इस टेस्ट में कप्तानी करेंगे। इससे पहले बुमराह की कप्तानी में भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों से शानदार जीत दर्ज की थी। रोहित के निराशाजनक फॉर्म को देखते हुए अटकलें लगने लगीं कि वे अब रिटायरमेंट की घोषणा कर देंगे, जिसके बाद जसप्रीत बुमराह को नए टेस्ट कप्तान के रूप में देखा जाने लगा। लेकिन बुमराह की फिटनेस, टीम इंडिया में उनके स्थायी कप्तान बनने के बीच में बाधा उत्पन्न कर सकती है।

दरअसल, सिडनी टेस्ट की चौथी पारी में जब भारत को बुमराह की गेंदबाजी की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब वो चोट के चलते खेल नहीं पाए। इसका नतीजा यह रहा कि भारत मैच जीतने से चूक गया। रोहित शर्मा की अनुपस्थिति के साथ ही उनके रिटायरमेंट की अफवाहें भी जोर पकड़ने लगीं। दूसरी ओर, यह चर्चा तेज हो गई कि BCCI जल्द ही जसप्रीत बुमराह को स्थायी कप्तान बना सकता है।

लेकिन टीम इंडिया की रिव्यू मीटिंग के दौरान रोहित शर्मा ने स्पष्ट कर दिया कि वो अभी भी टीम की कप्तानी जारी रखना चाहते हैं और भविष्य में बोर्ड के फैसलों का सम्मान करेंगे। इसी बैठक में बुमराह को कप्तान बनाने पर विचार जरूर हुआ, लेकिन उनकी चोटों का मुद्दा प्रमुख बनकर उभरा।

बुमराह की कप्तानी पर सवाल क्यों?

किसी भी कप्तान का प्लेइंग 11 में रहना और लगातार खेलना टीम के लिए बहुत अहम है। बार-बार कप्तान का चेंज होना टीमके मनोबल को नुकसान पहुंचा सकता है। जसप्रीत बुमराह ने पर्थ टेस्ट में अपनी कप्तानी की काबिलियत साबित की है, लेकिन उनके लगातार चोटिल होने की समस्या टीम मैनेजमेंट और BCCI के लिए चिंता का विषय है। दरअसल, बुमराह लंबे समय से अपने गेंदबाजी एक्शन, जिसमें उनके कंधे और कमर पर अधिक जोर पड़ता है, जिससे उनकी चोटिल होने की संभावना बढ़ जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीम मैनेजमेंट में इस पर सहमति नहीं बन पाई कि उन्हें स्थायी कप्तान बनाया जाए।

इसके अलावा, बुमराह फिलहाल कमर की चोट से जूझ रहे हैं, जिससे उनके आगामी चैंपियंस ट्रॉफी में खेलने पर भी सस्पेंस बना हुआ है। BCCI और चयनकर्ता मानते हैं कि अगर उन्हें कप्तान बना भी दिया जाए और वो किसी सीरीज के बीच में चोटिल हो जाते हैं, तो उनकी जगह कौन लेगा, यह एक बड़ी समस्या होगी। इन्हीं चिंताओं के कारण, बुमराह के लिए नियमित कप्तान बनने की राह आसान नहीं दिखती।

भले ही बुमराह ने खुद को एक बेहतरीन खिलाड़ी और अस्थायी कप्तान के रूप में साबित किया है, लेकिन उनकी चोटों का इतिहास उन्हें स्थायी कप्तान बनने से रोक सकता है।