सिनेमा की दुनिया में, चार्ली चैपलिन की तरह कुछ ही नाम अमर हैं। अपनी टोपी, मूंछों और हास्य के साथ उनका नाम इतिहास में आज भी दर्ज है। चार्ली चैप्लिन की ‘मेरी आत्मकथा’ उनके बचपन, खुद की प्रतिभा को पहचानने और उसे निखारने, फिल्मी करियर और दुनिया भर में मशहूर होने की कहानी कहती है। इस किताब के जरिए चैप्लिन के दिल और दिमाग में झांकने का मौका मिलता है। इस आत्मकथा को इसलिए पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह प्रेरणा देने का काम करती है कि कैसे बचपन में भारी गरीबी देखने वाले चैप्लिन हॉलीवुड की दौलत और प्रसिद्धि की ऊंचाइयों तक पहुँचते हैं।
पाठक जब चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा को पढ़ेंगे तो पहले पन्ने से ही खुद को जोड़ लेंगे। 1889 में लंदन में जन्मे चैपलिन अपने जीवन के बारे में, जहाँ उनका जन्म हुआ था, अपने मुश्किल बचपन के बारे में, अपनी माँ और अपने भाई के बारे में, अपने पिता के बारे में, सहजता और शान से बात करते हैं। यह सबसे दिलचस्प, सबसे निजी, सबसे मुखर है। दुख और गरीबी के बीच चार्ली अपने बचपन के दिन बिताते हैं। जब चार्ली छोटे थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो जाता है और उनके पिता, जो शराबी थे, परिवार की देखभाल करना छोड़ देते हैं। चार्ली की मां एक अभिनेत्री थी और चार्ली पाँच साल की उम्र में पहली बार मंच पर अपनी माँ के लिए आते हैं।
आगे चलकर वे अपनी ट्रैम्प की छवि के लिए दुनिया भर में मशहूर हो जाते हैं। चैपलिन की आत्मकथा हमें मूक सिनेमा के स्वर्ण युग से रूबरू कराती है। वह हॉलीवुड में अपने शुरुआती दिनों एक ऐसे उद्योग में काम करने की चुनौतियों के बारे में बताते हैं जो तेजी से विकसित हो रहा था। किताब बताती है कि चार्ली ने कई शादियां की लेकिन अभिनेता के प्रेम जीवन के बारे में विस्तार से जानने को नहीं मिलता।
चैपलिन अपनी फिल्मों के बारे में सब कुछ बताते हैं। हम इस बारे में अधिक जानते हैं कि चैपलिन ने अपनी खुद की शैली कैसे बनाई, उन्होंने अपनी कहानियों का आविष्कार कैसे किया, उन्होंने अपनी फिल्मों में मुख्य भूमिकाओं के लिए अभिनेत्रियों को कैसे चुना। वे अपनी आत्मकथा में अपनी सबसे प्रसिद्ध फिल्मों “द किड”, “द गोल्ड रश”, “सिटी लाइट्स”, “द ग्रेट डिक्टेटर”, “मॉन्सियर वर्दोक्स”, “लाइमलाइट के बारे में बताते हैं। चैपलिन “यूनाइटेड आर्टिस्ट्स कॉरपोरेशन” के निर्माण के बारे में भी बताते हैं जिसका मुख्य उद्देश्य बड़े स्टूडियो को फिल्म निर्माण पर एकाधिकार और नियंत्रण करने से रोकना था। वे आइंस्टीन, सार्त्र, पिकासो, स्टीनबेक, गांधी, चर्चिल के साथ अपनी मुलाकातों के बारे में भी बताते हैं।
किताब पढ़कर पता चलता है कि जापान में उनकी हत्या किए जाने की योजना भी बनाई गई थी। साथ ही यह भी कि वह अचानक अमेरिका का दुश्मन क्यों बन गए। राजनीति पर उनके मुखर विचार और उस समय की प्रचलित विचारधाराओं के अनुरूप न होने के कारण उनके जीवन में एक नाटकीय मोड़ आया था। किताब के अंत में चैपलिन स्विट्जरलैंड में शांति और खुशी से रहते हैं। जहां वे अपने परिवार के साथ हैं।
यह चार्ली चैपलिन की गरीबी से अमीरी की कहानी है और एक बहुत ही रोचक किताब है, जिसमें एक मनोरंजक लेखन शैली है। यह उनके विचारों, अनुभवों और फिल्म-निर्माण के बारे में बहुत सारी जानकारी प्रदान करती है। चार्ली चैपलिन की आत्मकथा उनके जीवन के ब्लैक एंड व्हाइट पक्ष को दिखाती है। चैपलिन के प्रशंसकों, हॉलीवुड के शुरुआती इतिहास में रुचि रखने वाले और अच्छी आत्मकथाओं का आनंद लेने वालों को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए।
किताब के बारे में
प्रकाशक- राजकमल प्रकाशन
मूल्य 599 रु.
पेज संख्या 524