उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी में एक ऐतिहासिक खोज हुई है। लक्ष्मण गंज इलाके में हुई खुदाई के दौरान 150 साल पुरानी और लगभग 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली एक प्राचीन बावड़ी मिली है। बताया जा रहा है कि यह बावड़ी 250 फीट गहरी है।
खुदाई की शुरुआत और खोज
चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि यह खुदाई 13 दिसंबर 2024 को भस्म शंकर मंदिर के खुलने के बाद शुरू की गई थी। यह मंदिर लगभग 46 वर्षों से बंद था। खुदाई के दौरान अधिकारियों को बावड़ी की संरचना का पता चला, जो पहले अतिक्रमण के कारण छिपी हुई थी।
बावड़ी की संरचना और विशेषताएं
पंजीकरण स्थिति: यह बावड़ी पहले तालाब के रूप में रजिस्टर्ड थी।
निर्माण सामग्री: इसकी ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर की है।
खास संरचनाएं: बावड़ी के अंदर चार कमरे, एक कुआं, चार द्वार और मूर्तियां रखने के लिए दर्जन भर से अधिक आले मिले हैं।
नक्काशी और कला: द्वारों पर प्राचीन नक्काशी के निशान भी देखे गए हैं।
इतिहास और स्थानीय मान्यताएं
स्थानीय निवासियों के अनुसार, इस बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल के दौरान हुआ था। डीएम राजेंद्र पेंसिया ने इसे लगभग 125-150 साल पुरानी संरचना बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके पुरातात्विक महत्व का अध्ययन कराने के लिए एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से मदद ली जा सकती है।
मंदिर की स्थिति और मूर्तियां
बावड़ी के पास स्थित बांके बिहारी मंदिर की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की गई है। इस मंदिर से खुदाई के दौरान दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां मिली हैं। डीएम ने कहा कि मंदिर की मरम्मत के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
अतिक्रमण रोधी अभियान का योगदान
बावड़ी का पता अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान चला। अधिकारियों ने बताया कि संरचना को नुकसान से बचाने के लिए सावधानी से खुदाई का काम किया जा रहा है। साथ ही, इलाके से अतिक्रमण पूरी तरह हटाने की योजना भी है।
आगे की योजना
डीएम ने कहा कि इस प्राचीन संरचना के संरक्षण और विकास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। स्थानीय नागरिकों ने भी इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया है।
यह खोज न केवल संभल की ऐतिहासिक धरोहर को उजागर करती है, बल्कि इसे संरक्षित करने की आवश्यकता पर भी बल देती है। स्थानीय प्रशासन इस प्राचीन बावड़ी और बांके बिहारी मंदिर की देखभाल के लिए प्रतिबद्ध है।