देश में चुनाव हैं…और हमारे देश भारत में तो चुनाव का मौसम यूं भी लगभग सालों भर रहता है। कहीं न कहीं चुनाव की घोषणा होते रहती है, चुनाव प्रचार चलते रहता है और चुनावों का मौसम बना रहता है। चूंकि हमारे देश की जनता उत्सव धर्मी भी है, तो चुनाव भी उसके लिए एक उत्सव की तरह हो जाता है। लेकिन अभी जो महाराष्ट्र, झारखंड और उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों जो विधान सभा के लिए चुनाव हो रहे हैं, एक बहुत ही खास वजह से खास बन गए हैं। देश में जो माहौल है, उस माहौल का फायदा उठाते हुए और चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए, साथ ही अपनी पार्टी के वोटो के बिखरावों को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने एक चुनावी रैली में एक नारा दिया “बंटोगे तो कटोगे” ।
उनका यह नारा आया तो विपक्षी पार्टियों से भी प्रतिक्रिया आनी स्वाभाविक थी, और वह आई भी। चुनावी माहौल गर्म हो उठा । आखिर यह किस तरह का नारा है ? किसी ने कहा कि यह अभी तक का सबसे घटिया चुनावी नारा है। किसी ने कहा कि नहीं यह देश की जनता को बरगलाने से रोकने के लिए अभी तक का सबसे बढ़िया नारा है। खैर, सुनो भाई साधो में इस पर हम चर्चा करेंगे विस्तार से लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि आज से कुछ दशक पहले भी जब चुनाव होते थे तो कमोबेश यही स्थितियां जनता या नेताओं के सामने होती थी। तब के हालाच कोई खास अलग नहीं थे। दलों को अपने नेताओं के लिए जीत चाहिए होती थी।
दशकों पहले की लिखी हुई एक कविता है देवी प्रसाद मिश्र की , जिसमें उन्होंने लिखा
“ हमने कांग्रेस-जनसंघ-संसोपा-भाजपा-सपा-बसपा-अवामी लीग-लोकदल-राजद-हिंदू महासभा-जमायते-इस्लामी
वग़ैरह वग़ैरह के लोंदों से जो बनाया
वह भारतीय मनुष्य का फ़ौरी पुतला है
मुझे भूरी-काली मिट्टी का एक और मनुष्य चाहिए
मुझे एक वैकल्पिक मनुष्य चाहिए “
इस पूरे बवाल की शुरुआत होती है दुनिया भर में मोहब्बत की निशानी माने जाने वाले ताजमहल की नगरी आगरा से। आगरा के एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिनों पहले लोगों को राष्ट्र की एकता का संदेश देते हुए कहा – “बटेंगे तो कटेंगे” । योगी आदित्यनाथ के बयान पर बहुत हो हल्ला मचा. पर उनके बोलने के कुछ दिनों बाद पीएम नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी यही बात अपने स्पीच में कह दी। वह भी एक बार नहीं बार बार….हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने “बंटेंगे तो कटेंगे” नारे को थोड़ा परिमार्जित करते हुए नारा दिया “एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे”।
हालांकि इस नारे में कोई अनोखी बात नहीं है। क्योंकि बचपन से हमें सिखाया जाता है हम किताबों में पढ़ते आएं हैं कि एकता में ही बल है, एक रहने में ही शक्ति है। बंटने का मतलब यह है कि दुश्मन को फायदा पहुंचाना। अंग्रेजों की डिवाइड एंड रूल पॉलिसी को हमने पानी पी पी कर, कर कोसा है। क्योंकि हम जानते हैं कि विभाजन का दंश क्या होता है? और बकौल भारतीय जनता पार्टी आगरा में योगी आदित्यनाथ ने भी राष्ट्र के संदर्भ में वही बात बोली थी और संदेश दिया था जनता को एक रहने के लिए। बाहरी शक्तियों तोड़ने में जुटी हुई है, लेकिन हमें बंटना नहीं है। क्योंकि बंटने का लाभ उन विभाजनकारी शक्तियों को पहुंचने वाला है। आम तौर पर राजनेता तो सिर्फ बांटने की बात करते रहे हैं। फिर यहां तो जोड़ने की बात हो रही थी।
आजादी के बाद अंग्रेजों की रणनीति पर देश की सभी पार्टियों ने चलने की कोशिश की। अंग्रेजों ने भारत में शासन करते हुए यहां के लोगों को एक बात तो बहुत पक्ते तरह से समझा दी थी कि अगर राज करना है तो डिवाइड एंड रूल करना होगा। अंग्रेजों की रणनीति पर सफलता कांग्रेस को ही मिली। अब दस साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस एक बार फिर नए सिरे से लोगों को बांटने का इंतजाम कर रही है। कभी जाति जनगणना के नाम पर कभी आर्थिक असमानता के नाम पर, तो कभी हिंदू मुस्लिम के नाम पर।
ऐसा नहीं है कि बांटने का यह काम या समाज में फूट डालने का यह काम भारतीय जनता पार्टी या उसके नेता नहीं करते। भारतीय जनता पार्टी के नेता यह बखूबी समझते हैं कि पार्टी का मुख्य वोट बैंक देश का हिंदू वर्ग ही है जहां से उसे इकट्ठे वोट मिलते हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के नेता नहीं चाहते हैं कि भारत के हिंदू समाज के वोटो का विभाजन हो। यही वजह है कि वह कांग्रेस और अन्य पार्टियों के द्वारा उठाए गए जाति जनगणना या विभाजनकारी मुद्दों की काट के लिए “बंटोगे तो कटोगे” के का नारा सामने लाया गया है।
पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने डिवाइड करने की खूब कोशिश की और काफी हद तक सफल भी रही। यही कारण रहा कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी के डिवाइड एंड रूल पर कांग्रेस का डिवाइड एंड रूल भारी पड़ा। बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी और उसे केंद्र में सरकार बनाने के लिए उसे अन्य पार्टियों का समर्थन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब फिर दो राज्यों में विधानसभा चुनाव होने को हैं और कई राज्यों में उपचुनाव भी हैं। जिसमें सबसे खास यूपी के 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव हैं। मुंबई की कई सड़कों पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर जिन पर “बंटोगे, तो कटोगे”, भरे पड़े हैं।
ऐसे में साधो, अब देखने वाली बात यह होगी कि “बंटोगे तो कटोगे” का यह नारा चुनाव परिणामों में क्या गुल खिलाता है? तब तक के लिए हमें इंतजार करना होगा।