Myths vs Facts: क्या महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले हार्ट अटैक का खतरा होता है कम? यहां जानें सच्चाई

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Myths vs Facts
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Myths vs Facts: भारत में लाखों की संख्या में दिल के मरीज मौजूद हैं और सबसे ज्यादा मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण होती हैं। अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियां पैदा होती है। हार्ट अटैक का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में आमतौर पर पुरुषों की छवि आ जाती है और ऐसा माना भी जाता है कि महिलाएं हार्ट अटैक से सेफ होती हैं लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। 40 की उम्र तक तो महिलाएं हार्ट अटैक से बची रह सकती हैं, लेकिन मेनोपॉज के बाद हार्ट अटैक का खतरा महिलाओं में तेजी से बढ़ जाता है। ये बीमारी खासकर घर में रहने वाली महिलाओं को ज्यादा होने का खतरा होता है क्योंकि घर पर रहकर ज्यादातर महिलायें अपनी सेहत का ख्याल नहीं रखती हैं।

क्या महिलाओं में हार्ट अटैक कम होता है?

कई लोग सोचते हैं कि महिलाएं हार्ट अटैक से सुरक्षित रहती हैं, लेकिन यह सच नहीं है। महिलाओं को भी हार्ट अटैक का खतरा होता है, खासकर मेनोपॉज (रजो निवृत्ति) के बाद इसलिए इसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए।

महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण

हार्ट अटैक के लक्षण महिलाओं में पुरुषों से अलग हो सकते हैं जैसे सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, पीठ, जबड़े या हाथ में दर्द, चक्कर आना या बेहोशी जैसे लक्षण भी हार्ट अटैक की तरफ इशारा करते हैं।

हार्ट अटैक का कारण क्या होता है?

महिलाओं में हार्ट अटैक के कारण पुरुषों जैसे ही होते हैं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापा और धूम्रपान और साथ ही स्ट्रेस और खराब लाइफस्टाइल भी हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी को बढ़ा सकते हैं ।

क्या विटामिन्स से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है?

यह बिल्कुल गलत धारणा है कि मल्टीविटामिन्स लेने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो सकता है। असल में ऐसा नहीं है , विटामिन्स शरीर के लिए जरूरी होते हैं लेकिन हार्ट अटैक से बचने के लिए एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बहुत जरूरी है।

महिलाओं में हार्ट अटैक से बचने के आसान उपाय-

  • ताजे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज खाएं।
  • ज्यादा तला-भुना या वसायुक्त खाना कम करें।
  • रोज कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करें।
  • तंबाकू का सेवन दिल की सेहत के लिए हानिकारक होता है इसलिए धूम्रपान न करें।
  • मानसिक तनाव को कम करने के लिए ध्यान, योग आदि करें।
  • ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, और शुगर लेवल की नियमित जांच करवाएं।
  • हर रात 7-8 घंटे की नींद लें।
  • सही जानकारी और समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर इस खतरे से काफी हद तक बचा जा सकता है।