Ramayan Katha: 1 नहीं इन 4 कारणों से हनुमान जी के साथ लंका से जाने से मना कर कर दिया था माता सीता ने…

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Ramayan Katha: भगवान श्रीराम के वनवास से लेकर लंका पर विजय प्राप्त करने तक हर स्थिति में वीर हनुमान ने उनका साथ दिया। रामायण में बताया गया है कि जब लंकापति रावण ने छल से माता सीता का अपहरण कर लिया था। तब हनुमान जी की सहायता से ही माता सीता को खोजना संभव हुआ था। हनुमान जी ही सबसे पहले माता सीता के पास श्रीराम का संदेश लेकर लंका पहुंचे थे। आज हम रामायण में वर्णित उस किस्से के बारे में जानेंगे जिसमें माता सीता ने हनुमान जी के साथ लंका से आने से इंकार कर दिया था।

Ramayan Katha: जानते हैं हनुमान जी के साथ लंका से क्यों नहीं गईं थी माता सीता

Ramayan Katha: धर्म पालन के लिए किया जाने से इंकार

देवी सीता के मना करने की पहली वजह यह थी कि वह अपने पतिव्रत धर्म का पालन कर रही थीं। वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि जब रावण माता सीता को हर कर ले गया था तो उन्हें अशोक वाटिका में रखा था और अशोक वाटिका में माता सीता को बचाने के लिए जब हनुमान जी आते हैं तब माता सीता ने उनके साथ जाने से मना कर दिया था। हनुमानजी के साथ माता सीता ने चलने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि इससे उनका पतिव्रत धर्म भंग होता। देवी सीता ने कहा कि रावण बलपूर्वक मुझे उठाकर लंका ले आया था उसमें मेरा वश नहीं था लेकिन मैं अपनी मर्जी से किसी अन्य पुरुष का स्पर्श नहीं कर सकती।

Ramayan Katha: अपमान का बदला और रावण का होना था पतन

वाल्मीकि रामायण के अनुसार सीता माता ये बात जानती थी कि रावण का अंत भगवान श्री राम के हाथ से ही होना है। रावण के अंत के लिए ही भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में जन्म लिया है और देवी सीता का हरण करके रावण ने रघुकुल का अपमान किया था। जिस रघुकुल के राजाओं से देवता भी सहायता मांगते थे रावण ने उस कुल की बहू का हरण करने का अपराध किया था। रावण के अंत और अधर्म पर धर्म की जीत के लिए श्री राम का लंका आना बहुत जरूरी था।

Ramayan Katha: श्री राम का सम्मान

माता सीता का हनुमान जी के साथ जाने से इंकार करने का तीसरा कारण श्री राम के प्रति सम्मान था। अगर देवी सीता हनुमानजी के साथ चली आतीं तो इतिहास में भगवान राम निर्बल कहलाते और संसार हनुमानजी की कीर्ति का बखान करता। शास्त्रों में कहा गया है कि पत्नी का धर्म होता है कि पति के मान और सम्मान और उनके कुल परंपरा का पालन करे। ऐसे में उन्होंने मर्यादा की रक्षा के लिए ये कदम उठाया।

Ramayan Katha: रावण की मुक्ति

रावण को वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु किसी मनुष्य के हाथों ही होगी। भगवान विष्णु ने रावण का वध करने के लिए ही राम रूप में अवतार लिया है। अगर वह हनुमानजी के साथ चली आतीं तो राम के अवतार का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता।

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