Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण और पराली जलाए जाने के मामले में आज (10 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फिर से दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा, हम 6 साल से इस समस्या पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान होते हुए नहीं दिखाई दे रहा है। बता दें, इस मामले पर अब अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।
आपको जो करना है करिए: SC
दरअसल, दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित ऑड-ईवन योजना पर एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए और कहा, “आपको जो करना है आप करें हम उसपर नहीं जाएंगे। कल को आप कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी स्कीम को करने नही दिया। हम बस ये कहना चाहते है की ये असर हो रहा है स्कीम का। आप अपना फैसला लीजिए। इसमें हम कुछ नहीं कह रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है। हर किसी के पास दो कार तो नही होगी। लेकिन अगर स्कूटर है तो उस पर लागू नहीं होगा। आपको इसके लिए जो करना है आप करें। बता दें, दिल्ली सरकार ने अदालत में हलफनामा दायर कर कहा था कि ऑड ईवन योजना सही है और इससे फायदा होता है।
एमिकस अपराजिता सिंह ने बताया कि पराली जलाने से प्रदूषण के बढ़ने में 24 फीसद योगदान है। कोयला और फ्लाई ऐश से 17 फीसद और वाहनों से 16 फीसद प्रदूषण रिकॉर्ड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि प्रदूषण के स्रोत क्या हैं लेकिन सभी कोर्ट के व्हिप का इंतजार करते हैं। हमारे पास हर समस्या का समाधान है पर कोई कुछ नहीं कर रहा।
पराली जलाने पर रोक जरूरी: SC
जस्टिस कौल ने कहा कि हम नतीजे चाहते हैं। हम विशेषज्ञ नहीं हैं लेकिन हम सिर्फ समाधान चाहते हैं। हम सिर्फ उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं। जस्टिस कौल ने कहा पराली जलाने की एक बड़ी वजह पंजाब में धान की खास किस्म की खेती होना है। किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है। हालाकि उसके बाद भी पराली जलाने पर रोक ज़रुरी है।
प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा प्रदूषण कम करने के लिए सभी राज्य व्यावहारिक समाधान लेकर सामने आए। हम लोगों को मरने की इजाजत नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा राज्यों के मुख्य सचिव ठोस कदम उठाएं अन्यथा उन्हें यहां पेश होना पडे़गा। कोर्ट ने कहा खेतों में लगाई जाने वाली आग रोकनी होगी। बैठकें हो रही हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो पा रहा है।
कोर्ट ने कहा हस्तक्षेप करने के बाद ही चीज़ें क्यों आगे बढ़ती हैं? कोर्ट ने पूछा क्या केंद्र पराली को वैकल्पिक ईधन बनाने वाली मशीनों का 50 प्रतिशत वहन करने के लिए तैयार है? कोर्ट ने कहा, कुछ प्रोत्साहन या जुर्माना लगा सकते हैं जैसे कि जो लोग पराली जलाते हैं उन्हें अगले साल MSP नहीं मिलेगा। इस तरह से बचाव की प्रक्रिया को हमें अपनाना होगा।
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