वर्ष 2018 में समलैंगिक संबंध अपराध के दायरे से बाहर किए जाने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनते हुए समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इंकार कर दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल रहे।इस फैसले को लेकर जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की राय सजी जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल से अलग नज़र आयी जिसके चलते 3-2 के मत से SC ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इंकार कर दिया।
भारत ऐसा पहला देश नहीं है जहां सेम सेक्स मैरिज पर कानून बनाने की मांग उजागर हुई हो। दुनियाभर के 34 देशों ने समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया है। सेम सेक्स मैरिज को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश नीदरलैंड्स था। नीदरलैंड्स की संसद द्वारा सन् 2000 में इस ऐतिहासिक विधेयक को पारित किया था। इस कानून ने नीदरलैंड्स की जनता को समलैंगिक जोड़ों को शादी करने, बच्चे गोद लेने और तलाक लेने का अधिकार दिलवाया।
समलैंगिक विवाह को मान्यता हर देश में अलग तरीकों से प्राप्त हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 23 ऐसे देश हैं जिन्होंने कानून बनाकर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी है इनमें स्विट्जरलैंड ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड ने राष्ट्रीय स्तर पर मतदान के ज़रिये कानून को पारित किया।
10 देशों ने कोर्ट के फैसलों के ज़रिये सेम सेक्स मैरिज को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया। इन देशों की सूची में ऑस्ट्रिया, ब्राजील, कोलंबिया, कोस्टा रिका, इक्वाडोर, मैक्सिको और स्लोवेनिया शामिल हैं। जिन्होंने बाद में विधायिका के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाये। अमेरिका जैसे विकसित देश ने 2015 में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता दी थी। यह कानूनी मान्यता वहां के सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुनाने के बाद दी गई।
हालिया समय की बात करें तो एंडोरा देश ने जुलाई 2022 में सेम सेक्स मैरिज को राष्ट्रीय स्तर पर लागू कर किया है। बीते वर्ष 3 देशों ने ऐसा किया है। बता दें, विश्व स्तर पर ऐसे पांच देश हैं जहाँ पर समलैंगिक संबंधों पर मौत की सजा दी जा सकती है। इन देशों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और मॉरिटानिया जैसे देश शामिल हैं।
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