आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को 11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन असंसदीय आचरण के आरोपों के चलते निलंबित किया गया था। इसको लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है और अब उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया है। सचिवालय से इस मामले में 30 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।
सीजीआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच राघव चड्ढा के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने संवैधानिक और प्रक्रियागत सवाल सामने रखे। द्विवेदी ने पीठ से कहा , “चड्ढा के निलंबन का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है। लेकिन फैसला लेने को लेकर कोई समय सीमा नहीं है। द्विवेदी ने पीठ से सवाल करते हुए पूछा कि क्या चड्ढा ने राज्यसभा नियमावली के नियम 72 का उल्लंघन किया है? जिन सांसदों ने चिट्ठी वाले ज्ञापन पर अपने नाम का गलत उल्लेख करने का दावा किया है उस बात पर चड्ढा ने क्षमा मांगते हुए खेद भी जताया है। क्या इसके बावजूद ये विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है?
उन्होंने आगे कहा, एक और सवाल यह कि विशेषाधिकार हनन के मामले में विशेषाधिकार समिति ने दो महीने में भी फैसला नहीं किया है। तो क्या समिति को किसी भी सदस्य के निलंबन आदेश पर अपने निर्णय को अनंतकाल तक टालने का अधिकार है?
सुप्रीम कोर्ट ने भले ही इस याचिका की सुनवाई करते हुए राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया हो लेकिन राघव चड्ढा को फिलहाल कोई राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है। सीजीआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत को यह जांचने की जरूरत है कि क्या किसी सदस्य को जांच लंबित रहने तक निलंबित किया जा सकता है? साथ ही कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को इस मामले में कोर्ट की सहायता करने को कहा है।
निलंबन मामले में राघव चड्ढा की दलील
राघव चढ्ढा ने सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल अपनी याचिका में दलील दी है कि राज्यसभा से निलंबन सदन संचालन नियमावली के नियम 256 का स्पष्ट उल्लंघन किया गया है। AAP नेता का कहना है कि राज्यसभा से किसी भी सदस्य को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित नहीं किया जा सकता। इस मामले की अगली सुनवाईं 30 अक्टूबर को होगी।
बता दें कि राघव चढ्ढा को 11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन असंसदीय आचरण करने, नियमों के घोर उल्लंघन, कदाचार, अभद्र रवैये और अवमाननापूर्ण आचरण के लिए निलंबित किया गया था। साथ ही राघव चढ्ढा के मामले में संसद की विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट भी लंबित है।