अगर कोई आपको कहे कि अब 140 तक हम जीवित रह सकते हैं तो क्या आप विशवास करंगे? नहीं न, लेकिन यह सच है भले आपको यकीन न हो। आने वाले दशकों में लोग 140 साल तक जीवित रह सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा चिकित्सा क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलाव के चलते संभव हो सकेगा। यानी अस्पतालों का इस्तेमाल लोग सिर्फ आकस्मिक दुर्घटना के लिए करेंगे।
दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) की शिखर बैठक में स्वास्य प्रौद्योगिकी पर केंद्रित एक परिचर्चा में विशेषज्ञों के अनुसार प्रौद्योगिकी के इस उभरते परिदृश्य में अस्पतालों की भूमिका केवल आपात चिकित्सा कक्ष की रह जाएगी।
माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यपालक सत्य नडेला ने कहा कि डिजीटल प्रौद्योगिकी आधारित चौथी औद्योगिक क्रांति चिकित्सा क्षेत्र को इस कदर बदल देगी कि कृत्रिम ज्ञान की प्रौद्योगिक और डाटा से लैस चिकित्सा वैज्ञानिक तत्काल रोग के सर्वोत्तम निदान ढूंढने में बड़े बड़े दिग्ग्जों को पीछे छोड़ देंगे। अस्पतालों का प्रबंध भी डिजिटल प्रौद्योगिक पर आधारित हो जाएगा।
मेडिकल रिकॉर्ड तुरंत के तुरंत उपलब्ध हो सकेंगे। विशेषज्ञों के हवाले से जारी बयान में कहा गया है, “कुछ ही दशकों में लोग 140 वर्ष तक जी सकेंगे। अस्पताल आपात चिकित्सा कक्ष भर ही रह जाएंगे, क्योंकि लोग अपनी बीमारी का प्रबंध खुद करने लगेंगे।”
नोकिया कारपोरेशन के अध्यक्ष और सीईओ राजीव सूरी ने कहा कि पुरानी बीमारियां दुनिया में मौत का प्रमुख कारण हैं। इनके कारण हुई मौतों की संख्या कुल मौतों के 60 फीसद से अधिक होती है। फिर भी इनमें से अधिकांश बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है तथा कई सटीक और शीघ्र निदान के साथ इन पर काबू पाया जा सकता है।
5जी कनेक्शन से जुड़ी एम्बुलेंस आघात से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े ले कर रास्ते में ही उसकी रक्षा के लिए चिकित्सकीय प्रक्रिया शुरू कर देगी। इससे हर साल लाखों लोगों का जीवन बच सकेगा।