दुनिया भर में रूस और चीन की रणनीतिक साझेदारी को एक मजबूत दोस्ती के रूप में देखा जाता रहा है। खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन को कई बार “नो लिमिट्स पार्टनर” यानी “बिना किसी सीमा वाला साझेदार” कहा है। लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स की ताजा रिपोर्ट ने इस कथित दोस्ती की परतें उधेड़ दी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, रूस की खुफिया एजेंसी FSB अब चीन को एक “गंभीर खतरे” के रूप में देख रही है।
जासूसी और तकनीक की चोरी के आरोप
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन न सिर्फ रूसी सैन्य तकनीक चुराने की कोशिश कर रहा है, बल्कि वह रूस के वैज्ञानिकों और जासूसों को भी फुसलाने में जुटा है। एफएसबी के मुताबिक, बीजिंग की ये गतिविधियां किसी सामान्य दायरे में नहीं आतीं, बल्कि रूस के खिलाफ एक सुव्यवस्थित और गुप्त योजना का हिस्सा हैं।
रूस में एजेंट बना रहा चीन?
लीक हुए दस्तावेज में यह भी बताया गया है कि चीन रूसी असंतुष्ट वैज्ञानिकों और खुफिया तंत्र के पूर्व सदस्यों को भर्ती कर सैन्य रहस्य हासिल करने की कोशिश कर रहा है। साथ ही वह रक्षा अनुसंधान के उन क्षेत्रों को निशाना बना रहा है जो बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। यह सब रूस-चीन रिश्तों की पारंपरिक ‘दोस्ती’ को लेकर सवाल खड़े करता है।
यूक्रेन में भी चीन की पैनी नजर?
एफएसबी को यह भी आशंका है कि चीन यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस की सैन्य गतिविधियों पर गुप्त रूप से नजर रख रहा है। इसका उद्देश्य पश्चिमी देशों की हथियार प्रणाली और रणनीतियों की जानकारी इकट्ठा करना हो सकता है। साथ ही कुछ चीनी शिक्षाविद रूसी भूभाग पर वैचारिक दावे तैयार कर रहे हैं, जिससे आने वाले समय में क्षेत्रीय विवाद खड़े हो सकते हैं।
आर्कटिक भी बीजिंग के निशाने पर
चीन सिर्फ यूरोप या रूस तक सीमित नहीं है, बल्कि रिपोर्ट बताती है कि वह आर्कटिक क्षेत्र में भी खनन कंपनियों और यूनिवर्सिटी रिसर्च सेंटरों की आड़ में जासूसी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। एफएसबी ने 8 पन्नों की इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से चीन की गतिविधियों को रोकने की प्राथमिकताएं तय की हैं।
रिपोर्ट की पुष्टि छह खुफिया एजेंसियों ने की
हालांकि एफएसबी के इस दस्तावेज पर तारीख का जिक्र नहीं है, लेकिन NYT का मानना है कि यह 2023 के आखिर या 2024 की शुरुआत में तैयार किया गया होगा। इसे ‘Ares Leaks’ नामक एक साइबर अपराधी समूह ने सार्वजनिक किया है। हालांकि यह साफ नहीं है कि उन्हें यह रिपोर्ट कैसे हाथ लगी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे छह अलग-अलग पश्चिमी खुफिया एजेंसियों से जांचवाया, जिन्होंने इसकी सत्यता की पुष्टि की है।