कैंसर का जिक्र आते ही हम लोग काफी गंभीर हो जाते हैं। शरीर में कैंसर होने को प्रमाणित करने वाले टेस्ट की लंबी लिस्ट से मन व्याकुल होने लगता है। जिसके चलते रोगी कई दूसरी बिमारियों से ग्रसित हो जाता है कि वह कैंसर से ग्रसित है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि अब महज दस मिनट के टेस्ट में यह पता लगाया जा सकता है कि वह व्यक्ति कैंसर से ग्रसित है या नहीं। इसको लेकर हुए शोध में शोधकर्ताओं को जबरदस्त सफलता मिली है। यह शोध जर्नल नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकाशित हुआ है।
आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने इस शोध को किया है। इस टेस्ट के जरिए शरीर में कहीं भी कैंसर सेल का आसानी से पता लगाया जा सकता है। इस घातक बीमारी के लिए यह टेस्ट किसी वरदान से कम नहीं है। यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि पानी में कैंसर एक यूनीक डीएनए स्ट्रक्चर बनाता है। इस टेस्ट की सबसे अच्छी बात ये है कि यह कैंसर की शुरुआत होने पर ही इसकी जानकारी दे देगा। शोध में यह बात सामने आई है कि जिस व्यक्ति के शरीर में कैंसर सैल्स जन्म लेती हैं। उस डीएनए मोलिक्यूल पूरी तरह से अलग थ्रीडी नेनोस्ट्रक्चर बनाते हैं जो डीएनए की नॉर्मल श्रंख्ला से अलग होती हैं।
इस टेस्ट के तहत होने वाले स्क्रीनींग टेस्ट में सरवाइकल, ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का भी पता आसानी से चल सकता है। यहां पर ये भी बताना बेहद जरूरी होगा कि दुनिया भर में कैंसर से बचने वालों की संख्या अमेरिका में जहां 40 फीसद है वहीं कम आय वाले देशों में यह काफी कम है। इसकी एक बड़ी वजह यही है कि वहां पर इसके बारे में रोगी को जानकारी काफी देर से मिल पाती है और इलाज महंगा होने की वजह से या इसमें देरी की वजह से उसकी मौत हो जाती है। अकेले अमेरिका में करीब चालीस फीसद लोग अपने पूरे जीवन में इसका इलाज करवाते हैं। वहीं दुनिया में छह में से एक मौत की वजह कैंसर ही होती है।
वर्ष 2018 की शुरुआत में जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में हुए शोध के बाद यह बात सामने आई थी कि ब्लड टेस्ट विकसित किया गया है जिसका नाम कैंसरसिक दिया गया था। इस दौरान खून में कैंसर प्रोटीन और जीन म्यूटेशन के बारे में जानकारी सामने आई थी। हालांकि इस पर अब भी शोध जारी है। शोध के दौरान 200 से ज्यादा टिश्यूज और ब्लड सैंपल की जांच में कैंसरस सैल्स पाई गईं।