कई महीने और साल बीत चुके हैं लेकिन कुलभूषण जाधव को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। पाकिस्तान ने अपनी नापाक इरादों के सबूत देते हुए उसे बंदी बनाए रखा है। यहां तक की अंतरराष्ट्रीय अदालत में भी उसके पास ऐसे कोई सबूत नहीं थे कि वो साबित कर पाए कि वो भारतीय जासूस है लेकिन फिर भी उसने भारत से दुश्मनी निकालने के लिए उसे कैद कर रखा है। बता दें कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक की अपील पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) अगले साल 18 फरवरी से दोबारा सुनवाई शुरू करेगा। द हेग स्थित आईसीजे ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि यह सुनवाई 18 से 21 फरवरी 2019 के बीच होगी। ऐसे में पाकिस्तान पूरी तैयारी के साथ अदालत में पेश होगा क्योंकि पिछली बार कोर्ट में भी उसके दावे बेबुनियाद साबित हुए थे।

बता दें कि पाकिस्तान की मिलिट्री अदालत ने कुलभूषण जाधव को कथित तौर पर जासूसी के आरोप में पिछले साल अप्रैल में फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठाने के बाद पाकिस्तान ने उनकी फांसी पर रोक लगा रखी है। आईसीजे ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 18 मई को पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में यह निर्देश दिया था कि जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा नहीं दी जाए।

23 जनवरी को आइसीजे ने पाकिस्तान और भारत दोनों के लिए मामले में दूसरे दौर का जवाब दायर करने की समयसीमा तय की थी। 400 पृष्ठों के जवाब में उसने भारतीय आपत्ति का भी उत्तर दिया। भारत ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत में जाधव के खिलाफ गलत आरोपों में एकतरफा सुनवाई पर अपनी आपत्ति जताई। भारत का कहना है कि जाधव अपने व्यापार के सिलसिले में ईरान गए थे, जहां से तालिबान ने उन्हें अगवा करके पाकिस्तानी एजेंसियों को सौंपा।

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