पाकिस्तान: क्या फील्ड मार्शल बनने के बाद तख्तापलट की तैयारी में हैं आसिम मुनीर? राष्ट्रपति जरदारी से रिश्तों में आई खटास

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क्या फील्ड मार्शल बनने के बाद तख्तापलट की तैयारी में हैं आसिम मुनीर?
क्या फील्ड मार्शल बनने के बाद तख्तापलट की तैयारी में हैं आसिम मुनीर?

पाकिस्तान में सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की पकड़ लगातार मजबूत होती जा रही है। हाल ही में उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि भी दी गई है, जिससे उनकी ताकत में और इज़ाफा हुआ है। अब खबरें आ रही हैं कि वे देश की सत्ता पर काबिज होने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और मुनीर के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है, और दोनों कई महत्वपूर्ण मसलों पर आमने-सामने हैं।

सेना प्रमुख बने दूसरे फील्ड मार्शल

पाकिस्तानी इतिहास में फील्ड मार्शल का खिताब पाने वाले मुनीर दूसरे सैन्य अधिकारी हैं। इससे पहले अयूब खान को यह दर्जा मिला था। अब माना जा रहा है कि मुनीर के बढ़ते राजनीतिक दखल से जरदारी और सेना के बीच टकराव की स्थिति बनती जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि पोस्टिंग्स और विदेश नीति को लेकर दोनों के बीच गंभीर मतभेद हैं, और मुनीर अब राष्ट्रपति की शक्तियों को सीमित करने की कोशिशों में जुटे हैं।

अमेरिका दौरे ने बढ़ाया आत्मविश्वास?

हाल ही में आसिम मुनीर ने अमेरिका का दौरा किया और वहां पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उनका आत्मविश्वास पहले से कहीं अधिक बढ़ा हुआ नजर आ रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, वे अब सरकारी निर्णयों में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप कर रहे हैं। यह रवैया राष्ट्रपति कार्यालय और मौजूदा सरकार को बिल्कुल रास नहीं आ रहा।

भुट्टो के बयान से सेना में नाराजगी

इस बीच, राष्ट्रपति जरदारी के बेटे और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो के हालिया बयान ने हालात और भी पेचीदा बना दिए हैं। भुट्टो ने कहा था कि हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को भारत को सौंप देना चाहिए। उनके इस बयान से सेना के भीतर नाराजगी फैल गई है। साथ ही कट्टरपंथी जिहादी संगठनों ने भी इस पर नाराज़गी जताई है, जिससे अंदरूनी माहौल और गर्म हो गया है।

क्या सत्ता के समीकरण बदलेंगे?

हालात जिस दिशा में बढ़ रहे हैं, उससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि फील्ड मार्शल मुनीर देश की बागडोर अपने हाथ में लेने की योजना बना रहे हैं। हालांकि अब तक इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि या बयान नहीं आया है, लेकिन सत्ता के गलियारों में हलचल तेज है।

राष्ट्रपति जरदारी और सेना के बीच बढ़ते मतभेद अगर यूं ही जारी रहे, तो पाकिस्तान एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की ओर बढ़ सकता है।