अमेरिका के नए नवेले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सात मुस्लिम देशों के नागरिकों पर बैन लगाने के बाद एक और बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। ट्रम्प चुनाव के दौरान आव्रजन के मुद्दे को लेकर कड़ा रुख अख्तियार करने की बातें करते रहे हैं। इसी कड़ी में अमेरिका की सीनेट में दो शीर्ष सीनेटरों द्वारा आव्रजन का स्तर कम करके आधा करने के लिए सीनेट में एक विधेयक पेश किया गया है।
अमेरिका में पेश हुए इस विधायक को ट्रम्प प्रसाशन अपनी मंजूरी दे सकता है। अगर यह विधेयक वहां पास हो जाता है तो ग्रीन कार्ड हासिल करने या अमेरिका में स्थायी निवासी बनने की इच्छा रखने वालों की लिए यह बड़ी चुनती साबित हो सकता है। इस विधेयक के लागू होने से भारतीय-अमेरिकियों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा जो रोजगार आधारित वर्गों में ग्रीन कार्ड मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
यह विधेयक रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर डेविड पड्रू द्वारा पेश किया गया है। इस विधेयक में हर वर्ष जारी किए जाने वाले ग्रीन कार्डों की संख्या को कम करके पांच लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है। पहले हर वर्ष जारी होने वाले ग्रीन कार्ड की संख्या 10 लाख थी। गौरतलब है कि अभी तक किसी भी अप्रवासी को अमेरिका में यह कार्ड पाने के लिए और वहां का स्थाई नागरिक बनने के लिए 10 से 35 साल तक के लंबे अंतराल से गुजरना होता है।
विधेयक के बारे में जानकारी देते हुए कॉटन ने कहा, ‘रेज एक्ट उच्च वेतन को प्रोत्साहित करेगा, जिसके आधार पर सभी कामकाजी अमेरिका के बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने प्रवासियों की संख्या की जानकारी भी दी। कॉटन के अनुसार वर्ष 2015 में 1,051,031 प्रवासी यहां आए थे। इस विधेयक के पारित होने से पहले साल में प्रवासियों की कुल संख्या कम होकर 6,37,960 रह जाएगी और 10वें साल में यह 5,39,958 हो जाएगी।
इसी मुद्दे पर बोलते हुए दूसरे सीनेटर पर्डू ने कहा, ‘हम हमारी कानूनी आव्रजन प्रणाली में व्याप्त कुछ कमियों को दूर करने के लिए कदम उठा रहे हैं। कानूनी आव्रजन के हमारे ऐतिहासिक रूप से सामान्य स्तरों पर वापस पहुंचने से अमेरिकी नौकरियों एवं वेतनों की गुणवत्ता के सुधार में मदद मिलेगी।’ ‘रेज एक्ट‘ अमेरिकी नागरिकों एवं वैध स्थायी निवासियों के पति या पत्नी और नाबालिग बच्चों के लिए आव्रजन प्राथमिकताओं को बरकरार रखेगा, जबकि विस्तारित परिवार और परिवार के व्यस्क सदस्यों के कुछ वर्गों के लिए प्राथमिकताएं हटा दी जाएंगी।
गौरतलब है की ट्रम्प प्रशासन पहले ही इस तरह के कानून की बातों पर जोर देता रहा है। हालंकि इस विधेयक में एच1बी वीजा की चर्चा नहीं की गई है। इस विधेयक के पारित होने से अमेरिका में बसने का ख्वाब देखने वाले भारत सहित दुनिया भर के नागरिकों के लिए अमेरिका की डगर कठिन हो जाएगी।