
बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अब कानूनी शिकंजा कसता नजर आ रहा है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने हसीना समेत दो अन्य प्रमुख नेताओं पर पिछले वर्ष छात्र आंदोलनों को हिंसा के जरिए दबाने के मामले में गंभीर आरोप तय किए हैं। इसमें सामूहिक हत्या जैसे अपराध भी शामिल हैं। न्यायाधिकरण की ताजा कार्यवाही के बाद स्पष्ट हो गया है कि हसीना पर मुकदमा उनकी गैर-मौजूदगी में शुरू होगा।
सत्ता छोड़ने के बाद बढ़ी कानूनी चुनौतियां
यह कानूनी कार्यवाही ऐसे समय में हो रही है जब शेख हसीना की सत्ता से विदाई को करीब 10 महीने हो चुके हैं। रविवार को तीन सदस्यीय पीठ ने अभियोजन पक्ष की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कहा कि वह हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को गंभीरता से ले रहा है। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल के नाम एक नया गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है। तीसरे आरोपी, उस वक्त के पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को हिरासत में लिया जा चुका है और उन पर केस नियमित रूप से चलेगा।
इतिहास में पहली बार न्यायिक कार्यवाही का सीधा प्रसारण
बांग्लादेश में पहली बार किसी न्यायाधिकरण की कार्यवाही को टेलीविजन पर लाइव दिखाया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम के पीछे उद्देश्य शेख हसीना तक स्पष्ट संदेश पहुंचाना था, जो इस समय भारत में बताई जा रही हैं। यह प्रसारण संभवतः हसीना को दबाव में लाने और उनके खिलाफ सार्वजनिक समर्थन बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत से प्रत्यर्पण की कोशिशें तेज
इससे पहले भी ICT ने हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश जारी किया था। तब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत को एक औपचारिक राजनयिक अनुरोध भेजा था जिसमें हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की गई थी। भारत सरकार ने इस अनुरोध को प्राप्त करने की पुष्टि तो की है, लेकिन इस पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की राजनीतिक वापसी की राह अब आसान नहीं रही। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाइयों का सिलसिला आगे और गंभीर मोड़ ले सकता है।