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Book Review: वामपंथी नेताओं के प्रति पूर्वाग्रह को दूर करती है...
'इंडियन कॉमरेड एके रॉय- हीरो ऑफ ग्राउंड पॉलिटिक्स', उन लोगों को बिल्कुल पढ़नी चाहिए जो झारखंड के मौजूदा स्वरूप में आने और उसके पूरे ऐतिहासिक विकास को जानने में रुचि रखते हैं। लेखक बंधुओं, सचिन झा शेखर और केआरजे कुंदन, ने एके रॉय की कहानी कहने के बहाने झारखंड की कहानी किस्सागोई के अंदाज में आसानी से कही है।
BLOG: ‘सरदार खान’ की भाषा क्यों बोलने लगे हैं कन्हैया कुमार?
मनोज झा ने उस दौर में राजद को चुना जब बिहार की एक बहुत बड़ी आबादी लालू प्रसाद और उनकी पार्टी को अछूत की तरह देखती थी। मीडिया में राजद का हस्तक्षेप या जगह शुन्य के बराबर था। भागलपुर दंगों को लेकर मनोज झा ने जितनी लड़ाई लड़ीं वो बातें पब्लिक डोमेन में है। कन्हैया को भक्त चरण दास की भक्ति से पहले यह भी जानना चाहिए था कि वो जैसे यूनिवर्सिटी के छात्र होने पर गर्व करते हैं, वैसे ही यूनिवर्सिटी में मनोज झा अध्यापक हैं। राजनीति के मैदान में भी दोनों की ही तुलना वैसी ही है।
साम्यवाद के अलग संस्करण से परिचय करवाती है किताब- ‘इंडियन कॉमरेड’...
झारखंड अलग राज्य आंदोलन की पृष्ठभूमि और दिवंगत मार्क्सवादी चिंतक ए.के. रॉय की राजनीतिक जीवन पर लिखी गयी किताब इंडियन कॉमरेड ए.के.रॉय साम्यवाद के...